नालासोपारा की 41 अवैध बिल्डिगों के घर खरीदारों के पुनर्वास की मांग पर बेरुखी; पुनर्वास का वित्तीय भार सरकार पर नहीं डाला जाना चाहिए - बॉम्बे हाई कोर्ट
Homebuyers of 41 illegal buildings in Nalasopara have been ignored in their demand for rehabilitation; the financial burden of rehabilitation should not be placed on the government - Bombay High Court
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सरकारी खजाने से नालासोपारा की 41 अवैध बिल्डिगों के घर खरीदारों के पुनर्वास की मांग पर बेरुखी दिखाई है। वहीं ऐसी बिल्डिगों के निर्माण में शामिल डिवेलपर के खिलाफ अदालत ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने वसई विरार महानगर पालिका को निर्देश दिया है कि अवैध बिल्डिंगों को गिराने से खाली हुई जगह पर डिवेलपर को निर्माण कार्य करने की अनुमति न दी जाए।
मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने सरकारी खजाने से नालासोपारा की 41 अवैध बिल्डिगों के घर खरीदारों के पुनर्वास की मांग पर बेरुखी दिखाई है। वहीं ऐसी बिल्डिगों के निर्माण में शामिल डिवेलपर के खिलाफ अदालत ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने वसई विरार महानगर पालिका को निर्देश दिया है कि अवैध बिल्डिंगों को गिराने से खाली हुई जगह पर डिवेलपर को निर्माण कार्य करने की अनुमति न दी जाए।
कोर्ट ने कहा कि डिवेलपर और मकान मालिक किसी अन्य बिल्डर के साथ मिलकर कोई व्यवसायिक लेन देन न करें। इससे पहले सरकारी वकील ने याचिका का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में निजी व्यक्तियों ने बिल्डर के साथ बिना अनुमति के बनी बिल्डिंगों में घरों का सौदा किया है, इसलिए ऐसे लोगों के पुनर्वास का वित्तीय भार सरकार पर नहीं डाला जाना चाहिए।
डिवेलपर को याचिका में नहीं किया शामिल
अवैध बिल्डिंग को जमीदोज करने के कारण करीब ढाई हजार लोग बेघर हुए थे। आशियाने से वंचित लोगों ने अब जय अंबे वेलफेयर सोसायटी के जरिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। हालांकि, कोर्ट ने प्रभावित घर खरीदारों की "चतुराई" पर नाराजगी जताई। जस्टिस रविन्द्र घुघे और जस्टिस अश्विन भोभे की बेंच ने अब याचिका में डिवेलपर को प्रतिवादी के तौर पर शामिल करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही सरकारी वकील की दलीलों के मद्देनजर कहा कि हमें इस याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं दिखता है।

