नई दिल्ली : चार साल तक केंद्रीय कर्मियों-पेंशनरों को होगा 10% का आर्थिक नुकसान, सैलरी पर पड़ सकता है असर
New Delhi: Central government employees and pensioners will suffer a 10% financial loss for four years, which could impact their salaries.
क्या चार साल तक 49 लाख कर्मियों व 69 लाख पेंशनरों को होगा 10 प्रतिशत वेतन का नुकसान, उनकी सेलरी में लगेगी सेंध, इस सवाल ने कर्मियों की परेशानी बढ़ा दी है। डीए/डीआर तो गत वर्ष ही पचास फीसदी के पार हो गया था। नियम है कि इस स्थिति में डीए/डीआर का मूल वेतन और पेंशन में विलय कर दिया जाए।
नई दिल्ली : क्या चार साल तक 49 लाख कर्मियों व 69 लाख पेंशनरों को होगा 10 प्रतिशत वेतन का नुकसान, उनकी सेलरी में लगेगी सेंध, इस सवाल ने कर्मियों की परेशानी बढ़ा दी है। डीए/डीआर तो गत वर्ष ही पचास फीसदी के पार हो गया था। नियम है कि इस स्थिति में डीए/डीआर का मूल वेतन और पेंशन में विलय कर दिया जाए। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी का कहना है कि सरकार, ऐसा कोई विलय नहीं करेगी। नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने एक विशेष बातचीत में कहा, ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार ने पहले ही कर्मचारियों का दस प्रतिशत पैसा हर माह बचा लिया है। इसे यूं भी कह सकते हैं कि पिछले दो साल से दस प्रतिशत के हिसाब से कर्मचारियों का वेतन हड़पा जा रहा है। पेंशन भी हड़पी जा रही है। आठवें वेतन आयोग के लागू होने की उम्मीद भी दो साल बाद ही कर सकते हैं। ऐसे में चार साल तक कर्मियों को हर माह दस प्रतिशत वेतन का नुकसान उठाना पड़ेगा। अब सरकार कह रही है कि डीए को मूल वेतन में मर्ज नहीं करेंगे। यह बात समझ नहीं आ रही है कि सरकार, कर्मचारी को उसका आर्थिक फायदा देने से क्यों कतरा रही है।
आठवें वेतन आयोग से जुड़े अहम सवाल
पेंशनरों को आठवें वेतन आयोग का फायदा मिलेगा या नहीं, इस बाबत कर्मचारी और पेंशनधारकों के संगठन, चिंतित हैं। पुरानी पेंशन, क्या इसकी बहाली होगी या अब यूपीएस ही चलेगा। 'गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की अवित्तपोषित लागत', आठवें वेतन आयोग की 'संदर्भ की शर्तें' यानी टर्म ऑफ रेफरेंस (टीओआर) में शामिल इस पंक्ति को हटवाने के लिए क्यों लामबंद हो रहे कर्मचारी। आज डिजिटल का युग है, बहुत सारी डिटेल एक क्लिक पर मिल जाती है तो फिर सरकार ने आठवें वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए 18 महीने का समय क्यों दिया है। आठवें वेतन आयोग के लागू होने पर न्यूनतम बेसिक वेतन कितना हो सकता है। सरकार ने कहां पर कैंची चलाकर सरकारी कर्मियों को आर्थिक नुकसान पहुंचा दिया है। जब आयोग का गठन हुआ तो कहा गया था कि पहली जनवरी 2026 से वेतन आयोग लागू होगा, अब संसद में वित्त राज्य मंत्री का कहना है कि आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के लागू होने की तारीख का निर्णय सरकार द्वारा लिया जाएगा। नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने अमर उजाला डॉट कॉम के साथ एक विशेष बातचीत में ऐसे कई अहम सवालों का जवाब दिया है।
क्या पेंशन में विभेद कर सकती है सरकार
डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने बताया, 'गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की अवित्तपोषित लागत', आठवें वेतन आयोग की 'संदर्भ की शर्तों' से इस बात को हटाने के लिए मांग की गई। अब इस मुद्दे पर स्थिति साफ हो गई है। पहले यह बात सामने आई कि पेंशनर को टीओआर में शामिल नहीं किया गया। पिछले दिनों संसद में वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि आठवें वेतन आयोग से पेंशनर भी लाभान्वित होंगे। अब यह मुद्दा खत्म हो गया है। अवित्तपोषित लागत, इस बाबत डॉ. पटेल ने कहा, 25 मार्च 2025 को संसद में 'पेंशन लायबिलिटी बिल' पास किया गया था। उसमें कहा गया था कि भारत सरकार, एक विशिष्ट तिथि से पहले के रिटायर्ड कर्मचारियों और उसके बाद के रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन में विभेद कर सकती है। इसका मतलब, इन दोनों स्थितियों में पेंशनरों को अलग-अलग लाभ मिलेंगे।

