हैदराबाद के बाजारों में ग्रीन क्रैकर्स की बंपर मांग, लोग चुन रहे हैं प्रदूषण-मुक्त दिवाली
Green crackers are in high demand in Hyderabad markets as people opt for a pollution-free Diwali
शहर में इस दिवाली की रौनक कुछ खास है, बाज़ारों में ‘ग्रीन क्रैकर्स’ यानी पर्यावरण-अनुकूल पटाखों की धूम मची हुई है. ये पटाखे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते और पारंपरिक पटाखों के मुकाबले लगभग 40% कम प्रदूषण करते हैं. हैदराबाद के प्रमुख बाज़ारों जैसे बेगम बाज़ार और पुराने शहर में ग्रीन क्रैकर्स की मांग पिछले सालों के मुकाबले काफी बढ़ी है. दुकानदार बताते हैं कि लोग अब जागरूक होकर इन्हीं पटाखों को तरजीह दे रहे हैं. NEERI यानी नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा प्रमाणित इन पटाखों की इस सीज़न में पूछताछ दोगुनी हो गई है.
हैदराबाद :. शहर में इस दिवाली की रौनक कुछ खास है, बाज़ारों में ‘ग्रीन क्रैकर्स’ यानी पर्यावरण-अनुकूल पटाखों की धूम मची हुई है. ये पटाखे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते और पारंपरिक पटाखों के मुकाबले लगभग 40% कम प्रदूषण करते हैं. हैदराबाद के प्रमुख बाज़ारों जैसे बेगम बाज़ार और पुराने शहर में ग्रीन क्रैकर्स की मांग पिछले सालों के मुकाबले काफी बढ़ी है. दुकानदार बताते हैं कि लोग अब जागरूक होकर इन्हीं पटाखों को तरजीह दे रहे हैं. NEERI यानी नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा प्रमाणित इन पटाखों की इस सीज़न में पूछताछ दोगुनी हो गई है.
पटाखा व्यापारी कहते हैं कि पिछले साल लोग ग्रीन क्रैकर्स को लेकर अनजान थे लेकिन इस बार ज़्यादातर ग्राहक सीधे इन्हीं के बारे में पूछ रहे हैं. हालांकि, पर्यावरण-अनुकूल कच्चे माल की लागत ज़्यादा होने के कारण ग्रीन क्रैकर्स की कीमतें सामान्य पटाखों से 15-20% अधिक हैं फिर भी लोग बेहिचक इसके लिए तैयार हैं.
बिना धुएं और आवाज वाले पटाखे
बाज़ार में बिना धुएं वाली फुलझड़ी, इको-रॉकेट और कम आवाज़ वाले स्पार्कलर जैसे नए पटाखे भी लोकप्रिय हो रहे हैं खासकर बच्चों वाले परिवारों में. लोग थोड़ी महंगी कीमत होने पर भी इन्हें खरीद रहे हैं क्योंकि इनसे खाँसी या सांस की तकलीफ नहीं होती और वे इस बार बिना किसी पछतावे के दिवाली मनाना चाहते हैं. तेलंगाना फायर वर्कर्स डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पी. वेणुगोपाल के मुताबिक इस साल लगभग सभी विक्रेताओं ने सिर्फ ग्रीन क्रैकर्स ही स्टॉक किए हैं. पिछले साल के मुकाबले मांग में 30% की बढ़ोतरी हुई है.
साफ है कि लोग अब पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति ज़्यादा सजग हो रहे हैं, ग्रीन क्रैकर्स कम धुआं छोड़ते हैं और सांस लेने में आसान होते हैं, जिससे बच्चे और बुजुर्ग भी सुरक्षित रहते हैं. थोड़ी अधिक कीमत होने के बावजूद, लोग इसे अपने और अपनों की सेहत के लिए एक सार्थक निवेश मान रहे हैं.

