सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखालि में हुई हिंसा की अदालत की निगरानी में जांच कराने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से किया इनकार
Supreme Court refuses to consider PIL seeking court-monitored investigation into Sandeshkhali violence
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार पर संदेशखालि में महिलाओं की आवाज को दबाने का आरोप लगाया है। रेखा शर्मा की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने हिंसा प्रभावित संदेशखालि का दौरा किया।
पश्चिम बंगाल के संदेशखालि में महिलाओं के कथित यौन शोषण और हिंसा के खबरों से पूरा देश हैरान है। भाजपा, कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दल ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को इस मामले में घेर रहे हैं। संदेशखालि में एंट्री को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच कई बार झड़प भी हो चुकी है। हालांकि, दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखालि में हुई हिंसा की अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है।
पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष और सांसद सुकांत मजूमदार ने संसद की विशेषाधिकार समिति को पत्र लिखकर तृणमूल कांग्रेस शासित राज्य में सुरक्षाकर्मियों द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार, क्रूरता और गंभीर चोट पहुंचाए जाने को लेकर विशेषाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया था।
उनकी शिकायत पर समिति ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव भगवती प्रसाद गोपालिका, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कुमार, उत्तर 24 परगना जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक सहित अन्य को विशेषाधिकार समिति के समक्ष पेश होने के लिए नोटिस जारी था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस पर रोक लगा दी और मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद के लिए निर्धारित कर दी।
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार पर संदेशखालि में महिलाओं की आवाज को दबाने का आरोप लगाया है। रेखा शर्मा की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने हिंसा प्रभावित संदेशखालि का दौरा किया।
रेखा ने कहा कि उनका दौरा हिंसा प्रभावित क्षेत्र की महिलाओं में आत्मविश्वास जगाने के लिए था ताकि उनमें से कई महिलाएं बाहर आएं और अपने मन की बात कहना शुरू करें। रेखा शर्मा ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकार महिलाओं की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है ताकि सच बाहर न आ सके।

