Supreme court

सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु के गवर्नर पर हुआ सख्त... पोनमुडी को शपथ न दिलाने पर लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु के गवर्नर पर हुआ सख्त...  पोनमुडी को शपथ न दिलाने पर लगाई फटकार सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच में जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। बेंच ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषसिद्धि पर रोक लगाए जाने के बाद गवर्नर कैसे कह सकते हैं कि उनका फिर से मंत्रिमंडल में शामिल होना संवैधानिक नैतिकता के विरुद्ध है? हम गवर्नर को कल तक का समय देते हैं। मिस्‍टर अटॉर्नी जनरल, अगर कल हमें आपका सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो हम राज्यपाल को संविधान के अनुसार कार्य करने का निर्देश देने वाला एक आदेश पारित करेंगे। हम राज्यपाल को संवैधानिक स्थिति को सही करने का मौका देकर उस स्थिति से बचना चाहते हैं।’
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केंद्र की फैक्ट चेक यूनिट पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, ये अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा...

केंद्र की फैक्ट चेक यूनिट पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, ये अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा...  सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचना पर तब तक रोक लगा दी जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट सूचना प्रौद्योगिकी नियम संशोधन 2023 की चुनौतियों का फैसला नहीं कर लेता। एफसीयू की स्थापना हाल ही में संशोधित आईटी नियमों के तहत अपने व्यवसाय से संबंधित सोशल मीडिया पर सामग्री की निगरानी के लिए की गई थी।
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सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार... सरकार से मांगा जवाब, तीन हफ्ते का दिया वक्त

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार... सरकार से मांगा जवाब, तीन हफ्ते का दिया वक्त सुप्रीम कोर्ट में सीएए से जुड़ी करीब  237 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। अदालत ने फिलहाल इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सरकार से जवाब तलब किया है। जवाब दाखिल करने के लिए सरकार को तीन हफ्ते 8 अप्रैल तक का वक्त दिया है।
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...क्या CAA के नियमों पर लगेगी रोक, सुप्रीम कोर्ट पहुंची मुस्लिम लीग

...क्या CAA के नियमों पर लगेगी रोक,  सुप्रीम कोर्ट पहुंची मुस्लिम लीग CAA पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर,2014 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों, यानी कि हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त करता है। यह कानून पुनर्वास के लिए कानूनी बाधाओं को दूर करेगा और नागरिकता प्रदान कर दशकों से पीड़ित शरणार्थियों के लिए गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करेगा। यह कानून उन लोगों के लिए है जिन्होंने वर्षों से उत्पीड़न सहा है और जिनके पास भारत के अलावा दुनिया में कोई और शरण स्थल नहीं है।
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