लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से झटका

Lalu Prasad Yadav gets a setback from the Supreme Court

लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से झटका

नई दिल्ली। 'जॉब के बदले जमीन' (लैंड फॉर जॉब) घोटाले में फंसे आरजेडी प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की कानूनी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। बुधवार, 30 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने इस हाई-प्रोफाइल मामले में उन्हें एक और बड़ा झटका दिया। अदालत ने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिससे अब ट्रायल कोर्ट में आरोप तय होने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने लालू यादव की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस मामले से जुड़ी एक अन्य याचिका पहले से ही दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है। कोर्ट ने कहा कि “ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने की प्रक्रिया, दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित मामले के फैसले के अनुसार होगी,” लेकिन तब तक निचली अदालत की कार्यवाही पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी।

क्या है मामला? यह मामला साल 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव केंद्र सरकार में रेल मंत्री थे। सीबीआई (CBI) का आरोप है कि इस अवधि में रेलवे में ग्रुप 'डी' के पदों पर भर्ती प्रक्रिया में नियमों को दरकिनार कर, कई आवेदकों को नौकरी दी गई। इसके बदले में इन आवेदकों से दिल्ली और बिहार में स्थित जमीनें, लालू यादव के परिवार के सदस्यों और करीबी सहयोगियों के नाम पर ट्रांसफर करवाई गईं। सीबीआई ने इस कथित घोटाले को गंभीर भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग का मामला मानते हुए जांच शुरू की थी। जांच के दौरान सामने आया कि आवेदकों से ट्रांसफर करवाई गई जमीनें बाजार मूल्य से बहुत कम दर पर ली गईं, और कहीं-कहीं तो सिर्फ नाम मात्र के भुगतान पर रजिस्ट्री हुई।

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किस स्थिति में है मामला अब? सीबीआई इस मामले में कई चार्जशीट दाखिल कर चुकी है, जिनमें लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव, और अन्य 15 से ज्यादा व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है। चार्जशीट दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में दाखिल हुई है, जहां ट्रायल कोर्ट की सुनवाई चल रही है। लालू यादव की ओर से वकील मुदित गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि जब तक दिल्ली हाई कोर्ट लंबित याचिका पर फैसला नहीं सुनाता। तब तक 12 अगस्त तक निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए। लेकिन शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि यह मांग स्वीकार नहीं की जा सकती। यह भी उल्लेखनीय है कि 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने लालू यादव की एक अन्य याचिका पहले ही खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें आरोप तय करने की प्रक्रिया को सही ठहराया गया था।

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क्या हो सकते हैं अगले कदम? सुप्रीम कोर्ट की ताजा टिप्पणी और आदेश के बाद सीबीआई द्वारा दाखिल चार्जशीट के आधार पर राउज एवेन्यू कोर्ट में आरोप तय किए जाने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। अगर ट्रायल कोर्ट आरोप तय कर देता है, तो लालू यादव और अन्य आरोपियों के खिलाफ विचारण (trial) औपचारिक रूप से शुरू हो जाएगा। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित याचिका पर आने वाले निर्णय का इस मामले पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा। यदि हाई कोर्ट लालू यादव के पक्ष में फैसला सुनाता है, तो यह ट्रायल प्रक्रिया को रोक भी सकता है। लेकिन तब तक, लालू यादव को निचली अदालत का सामना करना ही होगा।

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