सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक सीमा की स्थिति जैसी है वैसी ही रहेगी...!
The status of the border will remain the same till the decision of the Supreme Court...!
कर्नाटक सरकार के आशीर्वाद से महाराष्ट्र की सीमा पर चल रहे कानड़ी हंगामे को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बेहद नरम और ढुलमुल रवैया अपनाया है। महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक दोनों राज्यों को एक-दूसरे के इलाके पर दावा नहीं करना चाहिए, ऐसा कहते हुए अमित शाह ने गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में धकेल दी है।
नई दिल्ली : कर्नाटक सरकार के आशीर्वाद से महाराष्ट्र की सीमा पर चल रहे कानड़ी हंगामे को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बेहद नरम और ढुलमुल रवैया अपनाया है। महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक दोनों राज्यों को एक-दूसरे के इलाके पर दावा नहीं करना चाहिए, ऐसा कहते हुए अमित शाह ने गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में धकेल दी है।
सीमा भाग के मराठी बंधुओं पर भारी पैमाने पर हमला ‘कन्नड़ रक्षण वेदिका समिति’ को आगे बढ़ाकर कर्नाटक सरकार के आशीर्वाद से हो रहे हैं। इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कर्नाटक को कुछ कड़ी चेतावनी देंगे, लेकिन आज की बैठक में यह तस्वीर देखने को मिली कि दिल्ली के तथाकथित महाशक्ति महाराष्ट्र की तरफ नहीं हैं। इस बैठक में कर्नाटक के बड़बोले मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और वहां के भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नलीन उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कल की बैठक के लिए सीधे दिल्ली पहुंचे, जबकि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उज्जैन के महाकाल के दर्शन करने के बाद दिल्ली पहुंचे। उसके बाद उम्मीद थी कि महाराष्ट्र के हाथ में कुछ ठोस लगेगा, लेकिन संसद भवन में हुई यह बैठक असफल रही।
दोनों राज्यों को सीमा विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक एक-दूसरे के क्षेत्र पर दावा कर तनाव का माहौल नहीं बनाना चाहिए। दोनों राज्यों के बीच विवाद के मुद्दे पर दोनों राज्यों में से प्रत्येक राज्य के तीन मंत्रियों की कमेटी बैठक करेगी और मामले का समाधान करेगी। सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष भाषियों पर हो रहे अत्याचारों का संज्ञान लेने और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय पुलिस सेवा के एक अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की जाएगी।
सीमा विवाद एक संवेदनशील मुद्दा है। दोनों राज्यों में माहौल बिगड़ रहा है। यह मुद्दा राजनीतिक नहीं होना चाहिए। ऐसा आह्वान अमित शाह ने कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से किया। लेकिन उल्लेखनीय है कि शाह ने कर्नाटक के राजनीतिक दलों से ऐसा आह्वान नहीं किया।
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