मुंबई : पवई इलाके में सिविल कांट्रेक्टर की गड्ढे में गिरने के बाद दर्दनाक मौत
Mumbai: Civil contractor dies tragically after falling into a pit in Powai area
देश की आर्थिक राजधानी कहीं जाने वाली मुंबई में अब सड़कों पर चलना जान जोखिम में डालने जैसा है. हर साल गड्ढों की वजह से हादसे होते हैं, लोग मरते हैं. इसके बाद जिम्मेदारी सिर्फ एक-दूसरे पर टाल दी जाती है. ऐसा ही एक हादसा पवई इलाके में भी हुआ, जहां 59 वर्षीय सिविल कांट्रेक्टर लालू कांबले की गड्ढे में गिरने के बाद दर्दनाक मौत हो गई. हादसे के बाद जब घटनास्थल का रियलिटी चेक किया गया तो चौंकाने वाली बात सामने आई.
मुंबई : देश की आर्थिक राजधानी कहीं जाने वाली मुंबई में अब सड़कों पर चलना जान जोखिम में डालने जैसा है. हर साल गड्ढों की वजह से हादसे होते हैं, लोग मरते हैं. इसके बाद जिम्मेदारी सिर्फ एक-दूसरे पर टाल दी जाती है. ऐसा ही एक हादसा पवई इलाके में भी हुआ, जहां 59 वर्षीय सिविल कांट्रेक्टर लालू कांबले की गड्ढे में गिरने के बाद दर्दनाक मौत हो गई. हादसे के बाद जब घटनास्थल का रियलिटी चेक किया गया तो चौंकाने वाली बात सामने आई.
लालू कांबले अपनी एक्टिवा स्कूटी से अंधेरी से विक्रोली जा रहे थे. पवई के जोगेश्वरी-विक्रोली लिंक रोड पर अचानक स्कूटी एक बड़े जलभरित गड्ढे में फिसल गई. लालू कांबले बीच सड़क पर गिरे और तभी पीछे से आ रहे डंपर ने उन्हें कुचल दिया. जिससे उनकी दर्दनाक तरीके से मौत हो गई. मौके पर तैनात ट्रैफिक वार्डन ज्योति शेट्टीयार ने बताया कि मैं ट्रैफिक कंट्रोल कर रही थी, तभी अचानक तेज आवाज आई. हम दौड़कर पहुंचे.
सड़क पर तड़पता रहा घायल
पहले ट्रैफिक क्लियर कराया और फिर कांबले जी से घरवालों का नंबर लिया, फिर पुलिस को कॉल किया. लेकिन अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. करीब 45 मिनट तक लालू कांबले सड़क पर खून से लथपथ पड़े रहे, लेकिन समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंची. पुलिस उन्हें हीरानंदानी की जगह घाटकोपर के सरकारी अस्पताल ले गई, जो 10 किलोमीटर दूर था. परिजनों का आरोप है कि इसी देरी ने उनकी जान ले ली.
बेटे ने पुलिस और BMC को ठहराया मौत का जिम्मेदार
मृतक लालू कांबले के बेटे विजय कांबले ने बताया कि पिता की मौत के लिए BMC और पुलिस दोनों जिम्मेदार हैं. हर साल सड़कों के लिए करोड़ों का बजट आता है, फिर भी गड्ढे जस के तस रहते हैं. अगर समय पर इलाज होता और सड़क गड्ढा मुक्त होती, तो पापा आज जिंदा होते. हादसे के बाद जब घटनास्थल पर पहुंचकर सड़क की स्थिति जाननी चाही तो जांच में पता चला कि हादसे के तुरंत बाद प्रशासन ने डामर, कोलतार और गिट्टी डालकर गड्ढा तो भर दिया, लेकिन निशान अब भी बाकी हैं. गड्ढा लगभग 9 फीट लंबा और 12 इंच गहरा था.

