मुंबई : मढ के तटीय क्षेत्र की निर्माण कार्यों से जुड़ी करीब २४ हजार फाइलें गायब; अदालत ने फटकार लगाते हुए उपनगर के जिलाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा
Mumbai: Nearly 24,000 files related to construction work in the coastal area of Madh are missing; the court reprimanded and sought an explanation from the suburban District Magistrate.
राज्य सरकार निरंकुश तरीके से चल रही है। प्रशासन में फाइलें गायब हो रही हैं, मगर किसी को भी इसकी परवाह नहीं है। ताजा मामले में मालाड स्थित मढ के तटीय क्षेत्र (सीआरजेड) इलाके की निर्माण कार्यों से जुड़ी करीब २४ हजार फाइलें गायब हो गई हैं। यह जानकारी सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी से सामने आई है।
मुंबई : राज्य सरकार निरंकुश तरीके से चल रही है। प्रशासन में फाइलें गायब हो रही हैं, मगर किसी को भी इसकी परवाह नहीं है। ताजा मामले में मालाड स्थित मढ के तटीय क्षेत्र (सीआरजेड) इलाके की निर्माण कार्यों से जुड़ी करीब २४ हजार फाइलें गायब हो गई हैं। यह जानकारी सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी से सामने आई है। गत सप्ताह उच्च न्यायालय में इसकी जानकारी दी गई। इस पर अदालत ने आश्चर्य जताते हुए पूछा कि इतनी बड़ी संख्या में दस्तावेज आखिर गायब कैसे हो गए? साथ ही फटकार लगाते हुए उपनगर के जिलाधिकारी से इसका स्पष्टीकरण भी मांगा।
हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि एक सप्ताह के भीतर गायब दस्तावेजों की तलाश की जाए। यदि दस्तावेज नहीं मिलते हैं तो इस मामले में अलग से आपराधिक मामला दर्ज किया जाए। दरअसल, सीआरजेड इलाके में बने बंगले या अन्य निर्माणों को कानूनी साबित करने के लिए नकली नक्शे तैयार किए जाने का घोटाला पहले ही उजागर हुआ था। इस घोटाले की जांच उच्च न्यायालय के आदेश पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रहा है, लेकिन जांच सही ढंग से न होने पर न्यायालय ने नाराजगी भी जताई थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता वैभव ठाकुर की ओर से गायब दस्तावेजों का मुद्दा अदालत के सामने रखा गया। आरटीआई के तहत इस संदर्भ में जानकारी मांगी गई थी। तब उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने बताया कि अवैध निर्माण से जुड़ी जानकारी गायब हो चुकी है। यह जानकारी याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिनंदन वग्यानी और सुमित शिंदे ने अदालत को दी।
नकली प्रमाणपत्र जारी किए
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति संदेश पाटील की खंडपीठ ने इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि इतने दस्तावेज आखिर गायब कैसे हो गए? उन्होंने पश्चिम उपनगर के अतिरिक्त जिलाधिकारी (अतिक्रमण विभाग) को इस बारे में उपरोक्त आदेश दिए। इससे पहले, २०१९ में भी इन निर्माण कार्यों से जुड़ी जानकारी आरटीआई के तहत मांगी गई थी। उस समय बताया गया था कि इन निर्माणों को दिए गए प्रमाणपत्र नकली हैं। अब इन्हीं से जुड़ी २४ हजार से अधिक फाइलें जिलाधिकारी कार्यालय से गायब हो गई हैं।

