मुंबई : सुप्रीम कोर्ट के रिव्यू ऑर्डर के बाद; विशेष अदालत ने भुजबल के खिलाफ बेनामी संपत्ति का मामला दोबारा खोल दिया

Mumbai: Following the Supreme Court's review order, the special court reopened the benami property case against Bhujbal.

मुंबई : सुप्रीम कोर्ट के रिव्यू ऑर्डर के बाद; विशेष अदालत ने भुजबल के खिलाफ बेनामी संपत्ति का मामला दोबारा खोल दिया

मुंबई की एक विशेष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल, उनके बेटे पंकज, भतीजे समीर और आर्मस्ट्रांग इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर्स के खिलाफ बेनामी संपत्ति का मामला दोबारा खोल दिया है. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के रिव्यू ऑर्डर के बाद आया है. साल 2023 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह केस खारिज कर दिया था, लेकिन साथ ही यह भी कहा था कि अगर शीर्ष अदालत इजाजत दे तो कार्यवाही फिर से शुरू हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, इनकम टैक्स विभाग  केस बहाल करने की अर्जी लगाई थी. 

मुंबई: मुंबई की एक विशेष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल, उनके बेटे पंकज, भतीजे समीर और आर्मस्ट्रांग इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर्स के खिलाफ बेनामी संपत्ति का मामला दोबारा खोल दिया है. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के रिव्यू ऑर्डर के बाद आया है. साल 2023 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह केस खारिज कर दिया था, लेकिन साथ ही यह भी कहा था कि अगर शीर्ष अदालत इजाजत दे तो कार्यवाही फिर से शुरू हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, इनकम टैक्स विभाग  केस बहाल करने की अर्जी लगाई थी. 
 
 
इस अर्जी पर सुनवाई के दौरान, स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर जयकुमार शिर्डोंकर ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने केवल तकनीकी आधार पर राहत दी थी, केस की मेरिट पर कोई फैसला नहीं हुआ था. वहीं दूसरी तरफ, एडवोकेट सुधर्शन खवासे, जो आर्मस्ट्रांग इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और भुजबल परिवार का पक्ष रख रहे थे, उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने केस के पहलुओं को भी देखा था और साथ ही यह भी बताया कि सभी आरोपियों को रिकॉल पिटीशन में शामिल नहीं किया गया है. 
 
सुनवाई में जज सत्यनारायण आर. नवंदर ने टिप्पणी करते हुए कहा कि “यह नहीं कहा जा सकता कि हाईकोर्ट का आदेश मेरिट पर दिया गया था.” कोर्ट ने साफ किया कि कार्यवाही को तकनीकी वजहों से रोका गया था और अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन स्वीकार कर ली है, “इस अदालत के पास मूल कार्यवाही बहाल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.” 
नतीजतन, विभाग की शिकायत दोबारा अपने शुरुआती स्तर पर बहाल कर दी गई है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 6 अक्टूबर को होगी.
 
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