मुंबई: राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भेजे गए 374 एंटी करप्शन ब्यूरो जांच मामलों को मंजूरी नहीं दी
Mumbai: State government did not approve 374 Anti Corruption Bureau investigation cases sent under Prevention of Corruption Act

महाराष्ट्र सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नीति अब सवालों के घेरे में आ गई है। आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र घाडगे द्वारा मिले दस्तावेजों से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत भेजे गए 374 एंटी करप्शन ब्यूरो जांच मामलों को मंजूरी नहीं दी है। इससे सरकारी विभागों में चल रही कई महत्वपूर्ण जांचें ठप पड़ी हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इन लंबित मामलों में से 371 मामले 120 दिन से अधिक समय से मंजूरी के इंतजार में हैं।
मुंबई: महाराष्ट्र सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नीति अब सवालों के घेरे में आ गई है। आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र घाडगे द्वारा मिले दस्तावेजों से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत भेजे गए 374 एंटी करप्शन ब्यूरो जांच मामलों को मंजूरी नहीं दी है। इससे सरकारी विभागों में चल रही कई महत्वपूर्ण जांचें ठप पड़ी हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इन लंबित मामलों में से 371 मामले 120 दिन से अधिक समय से मंजूरी के इंतजार में हैं। इससे यह संदेह गहरा रहा है कि कहीं यह देरी जानबूझकर भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के लिए तो नहीं की जा रही है।
बता दें, साल 2018 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में संशोधन के बाद यह अनिवार्य कर दिया गया था कि किसी भी सार्वजनिक सेवक के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले दो स्तरों पर सरकारी मंजूरी ली जाए। लेकिन अब विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रक्रिया का दुरुपयोग हो रहा है और इसे भ्रष्टाचार पर कार्रवाई रोकने के औजार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
कार्यकर्ताओं का आरोप
इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता जीतेंद्र घाडगे ने कहा कि ACB भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए बनाई गई थी, लेकिन अब जो आंकड़े सामने आए हैं, वे बताते हैं कि जवाबदेही की पूरी व्यवस्था चरमरा चुकी है। अगर ACB भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती, तो जनता का सरकार पर से विश्वास उठ जाएगा।