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Read More... मुंबई : एंटी-करप्शन ब्यूरो ने जज से जुड़े 15 लाख के रिश्वत मामले में कार्रवाई करने की इजाज़त मांगी
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एंटी-करप्शन ब्यूरो के एक सीनियर अधिकारी ने कन्फर्म किया कि एजेंसी ने पिछले हफ़्ते बॉम्बे हाई कोर्ट को एक कम्युनिकेशन भेजा था, जिसमें एडिशनल सेशंस जज एजाजुद्दीन काज़ी से जुड़े ₹15 लाख के रिश्वत मामले में कार्रवाई करने की इजाज़त मांगी गई थी। एंटी-करप्शन ब्यूरो के जांच शुरू करने के बाद से ज्यूडिशियल ऑफिसर “गायब” हैं। मुंबई : एंटी-करप्शन ब्यूरो ने भ्रष्टाचार के छह मामलों में आरोपी सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति ज़ब्त करने की मंज़ूरी मांगी
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एंटी-करप्शन ब्यूरो ने राज्य सरकार को भ्रष्टाचार के छह मामलों में प्रस्ताव भेजे हैं, जिसमें आरोपी सरकारी कर्मचारियों से 8.42 करोड़ रुपये की संपत्ति ज़ब्त करने की मंज़ूरी मांगी गई है। डेटा से पता चलता है कि पुणे रेंज में सबसे ज़्यादा मामले हैं। मुंबई जा रही गोल्डन टेंपल एक्सप्रेस में जीआरपी ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के सहयोग से 20 लाख की चरस पकड़ी
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अमृतसर से मुंबई जा रही गोल्डन टेंपल एक्सप्रेस में जीआरपी ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के सहयोग से 20 लाख की चरस पकड़ी है। तीन आरोपित चरस को लेकर मंबई जा रहे थे। एनसीबी को गोल्डन टेंपल एक्सप्रेस से चरस जाने की सूचना मिली। रविवार को एनसीबी लखनऊ के एसआई मनोज सिंह, एसआइ सुरेंद्र सिंई, एसआई सुनील कुमार, कांस्टेबल रवि कुमार यादव जंक्शन रेलवे स्टेशन पहुंचे और गोल्डन टेंपल एक्सप्रेस में चरस तस्करी की जानकारी दी। इस सूचना पर जीआरपी भी सक्रिय हो गई और ट्रेन के जंक्शन रेलवे स्टेशन पहुंचने पर तीन आरोपित गिरफ्तार कर लिए। आरोपितों से 2.160 किलोग्राम चरस बरामद हुई। चरस की कीमत करीब 20 लाख रुपये है। मुंबई: राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भेजे गए 374 एंटी करप्शन ब्यूरो जांच मामलों को मंजूरी नहीं दी
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महाराष्ट्र सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नीति अब सवालों के घेरे में आ गई है। आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र घाडगे द्वारा मिले दस्तावेजों से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत भेजे गए 374 एंटी करप्शन ब्यूरो जांच मामलों को मंजूरी नहीं दी है। इससे सरकारी विभागों में चल रही कई महत्वपूर्ण जांचें ठप पड़ी हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इन लंबित मामलों में से 371 मामले 120 दिन से अधिक समय से मंजूरी के इंतजार में हैं। 