नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली दंगे पर सुनवाई: गुलफिशा फातिमा बोलीं- सत्ता बदलने की साजिश का दावा चार्जशीट में नहीं
Supreme Court hearing on Delhi riots: Gulfisha Fatima said – there is no claim of conspiracy to change the government in the charge sheet.
सुप्रीम कोर्ट में 2020 के दिल्ली दंगे से जुड़े मुकदमे पर सुनवाई के दौरान गुलफिशा फातिमा ने अपनी दलील में कहा, 'रिजीम चेंज ऑपरेशन' का दावा दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में शामिल नहीं है।फरवरी 2020 के दंगों के मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कार्यकर्ता गुलफिशा के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, आरोपी लगभग छह साल जेल में बिता चुकी हैं। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा, ट्रायल में देरी हैरान करने वाला है। उन्होंने कहा कि ये काफी हैरान करने वाला मामला है और उनकी स्मृति में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में 2020 के दिल्ली दंगे से जुड़े मुकदमे पर सुनवाई के दौरान गुलफिशा फातिमा ने अपनी दलील में कहा, 'रिजीम चेंज ऑपरेशन' का दावा दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में शामिल नहीं है।फरवरी 2020 के दंगों के मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कार्यकर्ता गुलफिशा के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, आरोपी लगभग छह साल जेल में बिता चुकी हैं। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा, ट्रायल में देरी हैरान करने वाला है। उन्होंने कहा कि ये काफी हैरान करने वाला मामला है और उनकी स्मृति में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
एक्टिविस्ट गुलफिशा फातिमा ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा, दिल्ली पुलिस ने जिस कोऑर्डिनेटेड 'रिजीम चेंज ऑपरेशन' यानी सत्ता बदलने की साजिश किए जाने का दावा किया है, इसका चार्जशीट में कोई जिक्र नहीं है। वकील सिंघवी ने कहा, फातिमा की पैरवी कर रहे सीनियर वकील सिंघवी ने पूछा, 'आपने (दिल्ली पुलिस) अपनी चार्जशीट के सेंटर में रिजीम चेंज का आरोप कहां लगाया है?' उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष का ऐसा दावा कि 'असम को भारत से अलग करने' के लिए पूरे भारत में साजिश की गई है, पूरी तरह बेबुनियाद है। उन्होंने अदालत के समक्ष कहा, पुलिस को बताना चाहिए कि
ऐसे दावों का आधार क्या है?
2021 में हाईकोर्ट से मिली जमानत का जिक्र कर सिंघवी ने दीं ये दलीलें
सिंघवी ने कहा, फातिमा के खिलाफ आरोप अभी तय नहीं हुए हैं। उन्हें 'अंतहीन तरीके से हिरासत' में नहीं रखा जा सकता। खासकर एक ऐसे मुकदमे में जहां 939 गवाहों का जिक्र किया गया हो। जून 2021 में हाईकोर्ट से मिली जमानत का हवाला देते हुए सिंघवी ने कहा, इस मामले के सह-आरोपी नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा को उच्च न्यायालय से जमानत मिल चुकी है। फातिमा इस मुकदमे की अकेली महिला आरोपी हैं जो अभी भी जेल में हैं। कई आरोपियों को 2021 में ही जमानत मिल गई थी। इसे देखते हुए मेरा मामला बहुत छोटा है।
दिल्ली में कब और कहां हुए दंगे, किन लोगों पर लगे आरोप?
फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में जेएनयू के छात्र उमर खालिद, शरजील इमाम और कई अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं का कड़ा विरोध किया। दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश वकील ने कहा, दिल्ली में दंगे कोई अचानक हुई घटना या हमला नहीं, देश की आजादी पर 'सोच-समझकर, योजनाबद्ध और अच्छी तरह से डिजाइन कर किया गया' हमला था।
फातिमा की जमानत याचिका में दलील- 'सीक्रेट मीटिंग' का दावा भी गलत
सिंघवी ने जमानत देने की अपील करते हुए कहा, फातिमा का 'सीक्रेट मीटिंग' में शामिल होने के आरोप वैसे ही हैं, जैसे सह-आरोपियों नरवाल और कलिता के खिलाफ लगाए गए थे। 'मिर्च पाउडर, एसिड या किसी और चीज के इस्तेमाल का कोई सबूत नहीं मिला है। कोई बरामदगी नहीं हुई। बैठक की जानकारी सोशल मीडिया पर अपलोड की गई है ऐसे में इसे गुप्त बैठक कैसे कहा जा सकता है। सिंघवी ने तर्क दिया कि दिल्ली पुलिस अपने आरोपों को साबित करने में विफल रही है।

