यवतमाल जिले में लगभग 3,000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष और उसके घर मिलने का दावा
Claim to have found remains of about 3,000 years old civilization and its houses in Yavatmal district

नागपुर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में लगभग 3,000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष और उसके घर मिलने का दावा किया है और उनका मानना है कि ये लौह युग के हैं। नागपुर विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रभाष साहू ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि विभाग की एक टीम ने 2023-24 में यहां बाबुलगांव तालुका के पचखेड़ गांव में खुदाई की। उन्होंने बताया कि पचखेड़ गांव के बाहर एक टीला है जो एक पुरातात्विक स्थल है, जहां पिछले साल खुदाई के दौरान उन्हें सांस्कृतिक अवशेष मिले थे।
यवतमाल : नागपुर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में लगभग 3,000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष और उसके घर मिलने का दावा किया है और उनका मानना है कि ये लौह युग के हैं। नागपुर विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रभाष साहू ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि विभाग की एक टीम ने 2023-24 में यहां बाबुलगांव तालुका के पचखेड़ गांव में खुदाई की। उन्होंने बताया कि पचखेड़ गांव के बाहर एक टीला है जो एक पुरातात्विक स्थल है, जहां पिछले साल खुदाई के दौरान उन्हें सांस्कृतिक अवशेष मिले थे।
साहू ने बताया, “ हमने इन अवशेष को चार अवधि में विभाजित किया है। पहला- लौह युग…। खोज का सांस्कृतिक क्रम मिट्टी के बर्तनों और कलाकृतियों के अवशेषों के आधार पर लौह युग से शुरू होता है। इसके बाद सातवाहन काल, मध्यकालीन काल और फिर इसे (जिस स्थान की खोज हुई है उसे) निज़ाम काल के दौरान एक वॉच टावर के रूप में इस्तेमाल किया गया था।”
उन्होंने बताया कि शोध दल को संरचनात्मक अवशेष मिले हैं, जिनमें चूना पत्थर के फर्श वाले गोलाकार घर हैं, जिनके किनारों पर लकड़ी के खंभे लगे हुए हैं। साहू ने कहा, ‘हमने जो साक्ष्य दर्ज किए हैं, उनमें हमें एक पूर्ण घर मिला है जिसमें चूल्हा, मिट्टी के बर्तन, लोहे की वस्तुएं, कीमती पत्थर और हड्डियों से बनी वस्तुएं शामिल हैं।’ उन्होंने दावा किया कि ये अवशेष संभवतः लौह युगीन हैं और लगभग 3,000 वर्ष पुराने हैं। साहू ने कहा कि नमूनों को दिल्ली स्थित अंतर विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र भेजा गया है जो यह पता लगाएगा कि ये वस्तुओं कब की हैं और इस बारे में अधिक जानकारी मई-जून तक मिल सकेगी।