नई दिल्ली : वक्फ को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई; केंद्र की मांग पर सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया
New Delhi: Hearing on the petitions filed regarding Waqf; On the demand of the Center, the government was given seven days to file a reply

सुप्रीम कोर्ट ने इस हफ्ते वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्र की मांग पर सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक 'उपयोगकर्ता की ओर से वक्फ' या 'दस्तावेजों की ओर से वक्फ' संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा।
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने इस हफ्ते वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्र की मांग पर सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक 'उपयोगकर्ता की ओर से वक्फ' या 'दस्तावेजों की ओर से वक्फ' संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी। इस हफ्ते खबरों के खिलाड़ी में इसी पर चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, राकेश शुक्ल, राजकिशोर, अजय सेतिया और अनुराग वर्मा मौजूद रहे।
राजकिशोर: जब ये कहा गया कि किसी हिन्दू ट्रस्ट में गैर-हिन्दू को रखा जाएगा ये चीज मुझे बहुत अजीब लगी। यहां पर धार्मिक मामला कैसे हो गया जब जमीन पर दावा करते हुए आप दिखाई दे रहे हैं। केंद्र ने जो अपने आपको पीछे कर लिया है, तो दो कदम पीछे रखके दस कदम की छलांग लगाई जा सकती है। हमने देखा है की अतीत के समय में कैसे जज खुद को अलग कर लेते थे। निश्चित तौर पर इन सब चीजों पर कोर्ट संवेदनशीलता के साथ काम करता है। जो लोग ये मान रहे हैं कि सरकार को झटका लग गया तो ये मैं नहीं मानता हूं।
अनुराग वर्मा: कोर्ट की कार्यवाही की कवरेज को सनसनीखेज बनाने की प्रतिस्पर्धा से दूर रहना चाहिए। सनसनीखेज हेडलाइन अच्छी जरूर लगती है लेकिन ये जनता को गलत मैसेज देती है। अगर आप कोर्ट के अंदर की कार्यवाही हुई उसमें बुधवार की कार्यवाही और गुरुवार की कार्यवाही में ही जमीन-आसमान का अंतर था। इस मामले में 122 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंची है। ऐसी याचिकाओं में ज्यादातर अपनी पॉपुलैरिटी के लिए लगाई गई हैं।
अजय सेतिया: न्यायालय में फैसला होना है और इसमें समय लगेग। सवाल ये है कि स्टे मिल गया। अगर ये स्टे स्थायी हो जाता है तो इसका राजनीतिक फायदा भाजपा को होगा। क्या संवैधानिक दृष्टि से ये कानून सही है या नहीं सुप्रीम कोर्ट को इसी संवैधानिकता को देखना है। जो लोग कह रहे हैं कि सरकार को झटका दिया तो सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी संवैधानिकता पर आ गई है।
रामकृपाल सिंह: अभी जो दो दिन की कार्यवाही हुई है उससे कोई निष्कर्ष निकालना ठीक नहीं होगा। जज सवाल कर रहे हैं कार्यवाही के दौरान ये सारी चीजें आएंगी। इतना आसान चीजें नहीं होती हैं। किसी भी कानून की व्याख्या करना सुप्रीम कोर्ट का काम है और कोर्ट ये काम कर रही है।
राकेश शुक्ल: मेरा दृष्टिकोण ये है कि सरकार फंसी नहीं है, बल्कि सरकार ने फंसा लिया है। सरकार ने रणनीतिक तरीके से सारा फोकस धारा-91 की ओर करा दिया है। इससे क्या राजनीतिक संदेश जाएगा। ये सभी को पता है। ये ऐसे मसले हैं जिसमें सरकार ने फंसा दिया है। सीएए और एनआरसी के वक्त भी कई लोग कोर्ट गए थे, क्या उसका कोई फैसला आया, नहीं आया। उसमें भी शुरुआत में इसी तरह की टिप्पणियां आई थीं।