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नई दिल्ली : पेगासस जासूसी मामले में दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में  सुनवाई 29 अप्रैल 

नई दिल्ली : पेगासस जासूसी मामले में दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में  सुनवाई 29 अप्रैल  सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 29 अप्रैल की तारीख तय की है। इन याचिकाओं में पत्रकारों और अन्य नागरिकों की अनधिकृत निगरानी के आरोपों की जांच की मांग की गई है। पेगासस एक इस्राइली सॉफ्टवेयर है जिसे मोबाइल फोन को हैक कर निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 2021 में कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि भारत में पत्रकारों, नेताओं, और सामाजिक कार्यकर्ताओं के फोन की जासूसी की गई थी।
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नई दिल्ली : वक्फ को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई; केंद्र की मांग पर सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया

नई दिल्ली : वक्फ को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई; केंद्र की मांग पर सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया सुप्रीम कोर्ट ने इस हफ्ते वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्र की मांग पर सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक 'उपयोगकर्ता की ओर से वक्फ' या 'दस्तावेजों की ओर से वक्फ' संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा।
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बॉम्बे हाई कोर्ट मराठा आरक्षण के खिलाफ याचिकाओं पर जून में करेगा सुनवाई...

बॉम्बे हाई कोर्ट मराठा आरक्षण के खिलाफ याचिकाओं पर जून में करेगा सुनवाई... बंबई उच्च न्यायालय ने मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण देने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई मंगलवार को 13 जून तक के लिए स्थगित कर दी। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी तथा न्यायमूर्ति फिरदोश पूनीवाला की पूर्ण पीठ ने आरक्षण पर रोक की याचिकाकार्ताओं की मांग पर तत्काल कोई आदेश पारित नहीं किया।
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सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 370 पर सुनाएगा निर्णय... चुनौती देने वाली याचिकाओं पर होगा फैसला

सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 370 पर सुनाएगा निर्णय... चुनौती देने वाली याचिकाओं पर होगा फैसला अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का विरोध करने वाले कुछ याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि इस प्रावधान को निरस्त नहीं किया जा सकता था क्योंकि जम्मू और कश्मीर संविधान सभा का कार्यकाल 1957 में पूर्ववर्ती राज्य के संविधान का मसौदा तैयार करने के बाद समाप्त हो गया था। उन्होंने कहा था कि संविधान सभा के विलुप्त हो जाने से अनुच्छेद 370 को स्थायी दर्जा मिल गया है। केंद्र ने तर्क दिया था कि पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधान को रद्द करने में कोई "संवैधानिक धोखाधड़ी" नहीं हुई थी।
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