नई दिल्ली : जांच समिति जस्टिस यशवंत वर्मा से तीन बिंदुओं पर जानकारी मांग सकती है
New Delhi: The investigation committee may seek information on three points from Justice Yashwant Verma
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने सरकारी आवास के एक कमरे में चार-पांच बोरियों में मिले अधजले नोटों के मामले को साजिश बताकर भले ही पल्ला झाड़ लिया हो, लेकिन आने वाले दिनों में उन्हें उच्च स्तरीय समिति के समक्ष कई अहम सवालों के जवाब देने पड़ सकते हैं।
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने सरकारी आवास के एक कमरे में चार-पांच बोरियों में मिले अधजले नोटों के मामले को साजिश बताकर भले ही पल्ला झाड़ लिया हो, लेकिन आने वाले दिनों में उन्हें उच्च स्तरीय समिति के समक्ष कई अहम सवालों के जवाब देने पड़ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की ओर से जारी आदेश में साफ कहा गया है कि जांच समिति जस्टिस यशवंत वर्मा से तीन बिंदुओं पर जानकारी मांग सकती है।
उक्त नकदी का क्या हिसाब है?
उक्त आदेश के तहत जस्टिस वर्मा को यह बताना होगा कि उनके आवासीय परिसर में उक्त नकदी का क्या हिसाब है? जस्टिस वर्मा को स्टोर रूम में मिले पैसों का स्रोत भी बताना होगा। इतना ही नहीं, जस्टिस वर्मा से यह भी जानकारी मांगी जा सकती है कि 14 मार्च की रात को आग लगने की घटना के बाद 15 मार्च की सुबह संबंधित कमरे से नकदी किसने निकाली।
मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की आंतरिक रिपोर्ट मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने शनिवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। साथ ही जस्टिस वर्मा को फिलहाल कोई न्यायिक जिम्मेदारी न दिए जाने का आदेश दिया था। इस कमेटी में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के अलावा हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं।
लुटियन दिल्ली स्थित यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में 14 मार्च को होली की रात करीब 11 बजकर 35 मिनट पर आग लग गई थी। इस दौरान जस्टिस वर्मा घर पर नहीं थे और उनके परिजनों ने दमकल विभाग को फोन किया था। मौके पर पहुंची टीम को आग बुझाते समय भारी मात्रा में नकदी मिली थी।
मोबाइल चैट-डेटा को न हटाएं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने रिपोर्ट में यह भी कहा कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के पिछले छह महीने के फोन कॉल डिटेल की जानकारी प्राप्त करने के संबंध में पुलिस आयुक्त को पत्र लिखा गया है और उनसे एक सितंबर 2024 से अब तक की जानकारी उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी बताया है कि न्यायमूर्ति वर्मा से अनुरोध किया गया है कि वे अपना मोबाइल फोन नष्ट न करें और साथ ही मोबाइल फोन से किसी भी चैट, संदेश या डेटा को डिलीट या संशोधित न करें।
कॉल रिकार्ड की पुलिस से मांगी जानकारी
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट को भेजी रिपोर्ट में बताया कि सीजेआई के निर्देशानुसार पिछले छह महीने में यशवंत वर्मा की रजिस्ट्री में तैनात कर्मियों के साथ-साथ निजी सुरक्षा कर्मियों और आवास पर तैनात सुरक्षा कर्मियों की जानकारी उपलब्ध कराने के संबंध में पुलिस उपायुक्त (सुरक्षा) को पत्र लिखा गया है। पुलिस उपायुक्त को एक सितंबर 2024 से अब तक जस्टिस वर्मा के साथ तैनात कर्मियों की जानकारी उपलब्ध कराने को कहा गया है, जैसे ही जानकारी उपलब्ध होगी, उसे आगे भेज दिया जाएगा।

