मुंबई : पिछले साल हुई मारपीट का मामला फिर से सुर्खियों में; महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया
Mumbai: Case of last year's assault back in news; Maharashtra State Human Rights Commission takes suo motu cognizance
एक ओला ड्राइवर के साथ पिछले साल हुई मारपीट का मामला फिर से सुर्खियों में है। 24 वर्षीय पीड़ित ड्राइवर पर पार्क साइट इलाके में ऑडी कार मालिक ने कथित रूप से जानलेवा हमला किया था। हमले के परिणामस्वरूप उसकी रीढ़ की हड्डी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई और वह अब सामान्य जीवन जीने में असमर्थ है। ड्राइवर की स्थिति इतनी गंभीर है कि वह बिस्तर से उठ नहीं पा रहा है और न ही पहले की तरह काम कर सकता है। परिवार की आर्थिक स्थिति भी गंभीर रूप से प्रभावित हुई है, क्योंकि घर की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर थी। घटना के समय पूरी घटना सीसीटीवी में रिकॉर्ड हुई थी और गवाह भी मौजूद थे। इसके बावजूद पार्क साइट पुलिस थाने के एक अधिकारी ने इसे “गुस्से में की गई हरकत” बताकर मामले को हल्का करने की कोशिश की।
मुंबई : एक ओला ड्राइवर के साथ पिछले साल हुई मारपीट का मामला फिर से सुर्खियों में है। 24 वर्षीय पीड़ित ड्राइवर पर पार्क साइट इलाके में ऑडी कार मालिक ने कथित रूप से जानलेवा हमला किया था। हमले के परिणामस्वरूप उसकी रीढ़ की हड्डी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई और वह अब सामान्य जीवन जीने में असमर्थ है। ड्राइवर की स्थिति इतनी गंभीर है कि वह बिस्तर से उठ नहीं पा रहा है और न ही पहले की तरह काम कर सकता है। परिवार की आर्थिक स्थिति भी गंभीर रूप से प्रभावित हुई है, क्योंकि घर की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर थी। घटना के समय पूरी घटना सीसीटीवी में रिकॉर्ड हुई थी और गवाह भी मौजूद थे। इसके बावजूद पार्क साइट पुलिस थाने के एक अधिकारी ने इसे “गुस्से में की गई हरकत” बताकर मामले को हल्का करने की कोशिश की।
इस मामले में महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया और पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए। आयोग ने कहा कि वीडियो फुटेज और प्रत्यक्ष साक्ष्य मौजूद होने के बावजूद पुलिस ने उचित कार्रवाई नहीं की। महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने पुलिस विभाग की भूमिका पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह सामान्य झगड़े का मामला नहीं था, बल्कि गंभीर आपराधिक कृत्य था। किसी व्यक्ति को जान से मारने जैसी चोट पहुंचाना बड़ा अपराध है और इसमें पुलिस को तुरंत सख्त कदम उठाने चाहिए थे। आयोग ने संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है कि इतने ठोस सबूत होने के बावजूद कार्रवाई क्यों टाली गई। महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने कहा कि पीड़ित के मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है और इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है।
डॉक्टरों के अनुसार, पीड़ित को लंबे इलाज और महंगी दवाइयों की जरूरत है। परिवार इस खर्च को वहन करने में असमर्थ है। परिवार का कहना है कि यदि आरोपी के खिलाफ समय पर कार्रवाई की जाती और उचित मुआवजा दिलाया जाता, तो स्थिति अलग हो सकती थी। स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन पीड़ित के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप के बाद अब परिवार को उम्मीद है कि आयोग के आदेशों के आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी और उन्हें मुआवजा भी मिलेगा।
मामले में महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग की सख्त टिप्पणी से पुलिस विभाग पर दबाव बढ़ा है। आयोग ने कहा कि ऐसे गंभीर अपराधों में लापरवाही मानवीय और कानूनी जिम्मेदारी दोनों के उल्लंघन के बराबर है। पीड़ित के परिवार और समाज के अन्य लोग न्याय की प्रक्रिया पर नजर बनाए हुए हैं। महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग के आदेशों के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कितनी सख्त होगी और पीड़ित को राहत और मुआवजा किस समय तक मिलेगा। इस घटना ने मुंबई में सुरक्षा और पुलिस की जवाबदेही को लेकर भी बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में मानवाधिकार आयोग का हस्तक्षेप आवश्यक है, ताकि पुलिस की निष्क्रियता से पीड़ितों को न्याय से वंचित न होना पड़े।

