मॉनसून का साइड इफेक्ट, क्या 40 की स्पीड पर चलाई जाएगी मुंबई-गोवा वंदे भारत एक्सप्रेस?
Side effect of monsoon, Mumbai-Goa Vande Bharat Express may run at 40 speed...
मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई हिस्सा ऐसे हैं, जहां बारिश का कोई भरोसा नहीं होता है। आईएमडी के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून लक्षद्वीप और दक्षिण अरब सागर के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ गया है। इधर मडगांव से सीएसएमटी के बीच गोवा वंदे भारत एक्सप्रेस का उद्घाटन नहीं हो सका।
पिछले सप्ताह मडगांव से सीएसएमटी के बीच चलने वाली गोवा की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस का उद्घाटन समारोह नहीं हो सका। बालासोर ट्रेन हादसे के बाद समारोह भी टल गया और 5 जून से शुरू होने नियमित ट्रिप भी रद्द हो गई। इसी बीच कोंकण रेलवे ने मॉनसून की तैयारियों से जुड़ी रिलीज जारी की है। 10 जून से 31 अक्टूबर तक ट्रेनों को मॉनसून टाइम टेबल के मुताबिक चलाया जाता है। इस दौरान मूसलाधार बारिश होने पर ट्रेनें 40 किमी/घंटे से तेज गति पर नहीं चल सकतीं। सवाल उठना लाजिमी है कि ऐसे में यदि वंदेभारत एक्सप्रेस चलाई जाएगी, तो उसे भी 40 किमी/घंटे की गति सीमा का पालन करना होगा...Side effect of monsoon...
जानकारों के मुताबिक, अगले 15 दिन में वंदे भारत एक्सप्रेस नहीं चली, तो इसकी नियमित सेवाएं मॉनसून के बाद चलाई जा सकती हैं। मॉनसून के दौरान कोंकण रेलवे में घाट सेक्शन होने के कारण चट्टानें खिसकने, ट्रैक पर कीचड़ जमा होने या ट्रैक के नीचे से गिट्टी बहने की घटनाएं होना आम है। इसीलिए हर साल 10 जून से 31 अक्टूबर तक एक मॉनसून टाइमटेबल जारी किया जाता है और ट्रेनें भी उसी के मुताबिक चलती हैं...Side effect of monsoon...
कोंकण रेलवे के उप महाप्रबंधक गिरीश आर. करंदीकर के अनुसार, मॉनसून के दौरान एक तय गाइडलाइन के मुताबिक पैट्रोलिंग इत्यादि का काम होता है। इस बार पूरे रूट पर पैट्रोलिंग के लिए 673 कर्मचारियों को तैनात किया गया है। चट्टान गिरने वाले संवेदनशील पॉइंट्स पर 24 घंटे कर्मचारी तैनात करने की व्यवस्था की गई है। इस रूट पर कई जगह गति अवरोधक लगाए गए हैं। कई स्थानों पर हिल गैंग तैनात की गई है।
ज्यादा बारिश के कारण यदि रोशनी कम होती है, तो सभी लोको पायलट को 40 किमी/घंटे स्पीड का पालन करने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा आपातकालीन स्थिति में ऐक्सिडेंट रिलीफ मेडिकल ट्रेनों को वेरना और रत्नागिरी स्टेशनों पर तैनात किया गया है। इन ट्रेनों में ऑपरेशन की भी व्यवस्था होगी...Side effect of monsoon...
कोंकण रेलवे में बहुत ज्यादा बारिश होती है। बारिश का सही आकलन करने के लिए मानगांव, चिपलुन, रत्नागिरी, विलवाड़े, कणकवली, मडगांव, कारवार, भटकल और उडुपी में बारिश मापक यंत्र लगाए गए हैं....Side effect of monsoon...
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