मुंबई : चीरा बाज़ार में टल गया बड़ा हादसा; दो मंजिला पुरानी इमारत की सीढ़ियां अचानक ढह गईं
Mumbai: A major accident was averted in Chira Bazaar; stairs of a two-storey old building suddenly collapsed
दक्षिण मुंबई के भीड़भाड़ वाले इलाके चीरा बाज़ार में रविवार शाम एक बड़ा हादसा टल गया. शाम करीब 7:30 बजे प्रभु गली स्थित दो मंजिला पुरानी इमारत की सीढ़ियां अचानक ढह गईं. इस इमारत में कुल 17 किरायेदार अपने परिवारों के साथ रहते हैं. गनीमत रही कि समय रहते सभी निवासियों को दमकल विभाग और स्थानीय नागरिकों की मदद से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. सूचना मिलते ही शाखा प्रमुख निलेश भोईटे, प्रभाग प्रमुख दिलीप नाइक, युवा सेना कार्यकारिणी सदस्य रुचि वाडकर और उप-शाखा प्रमुख कार्तिक नंदोला तुरंत मौके पर पहुंचे.
मुंबई : दक्षिण मुंबई के भीड़भाड़ वाले इलाके चीरा बाज़ार में रविवार शाम एक बड़ा हादसा टल गया. शाम करीब 7:30 बजे प्रभु गली स्थित दो मंजिला पुरानी इमारत की सीढ़ियां अचानक ढह गईं. इस इमारत में कुल 17 किरायेदार अपने परिवारों के साथ रहते हैं. गनीमत रही कि समय रहते सभी निवासियों को दमकल विभाग और स्थानीय नागरिकों की मदद से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. सूचना मिलते ही शाखा प्रमुख निलेश भोईटे, प्रभाग प्रमुख दिलीप नाइक, युवा सेना कार्यकारिणी सदस्य रुचि वाडकर और उप-शाखा प्रमुख कार्तिक नंदोला तुरंत मौके पर पहुंचे.
उन्होंने निवासियों को आश्वस्त करते हुए भरोसा दिलाया कि प्रशासनिक स्तर पर हर संभव मदद उपलब्ध कराई जाएगी. इमारत की जर्जर स्थिति को देखते हुए, म्हाडा के कार्यकारी अभियंता बिराजदार के साथ चर्चा की गई और सभी प्रभावित परिवारों के लिए संक्रमणकालीन शिविर में रहने की व्यवस्था करने का अनुरोध किया गया है. यह व्यवस्था सोमवार सुबह से लागू होने की संभावना है.
स्थानीय आरटीआई कार्यकर्ता जीतेंद्र दगड़े, जो स्वयं दक्षिण मुंबई की एक पगड़ी इमारत में रहते हैं, ने भी मौके पर आकर निवासियों को सहयोग दिया. उन्होंने बताया कि यह इमारत चार दशक से अधिक पुरानी है और लंबे समय से जर्जर हालत में है.
बावजूद इसके, रखरखाव और मरम्मत के अभाव में लोग यहाँ रहने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि मुंबई में हजारों पगड़ी और चॉल टाइप इमारतें हैं जो इसी तरह खस्ताहाल स्थिति में खड़ी हैं और किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रही हैं. इस घटना ने एक बार फिर दक्षिण मुंबई की पुरानी इमारतों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. हर साल मॉनसून में कई जर्जर इमारतें ढहने या दरारें आने की घटनाएँ सामने आती हैं.
बीएमसी और म्हाडा समय-समय पर नोटिस जारी करती हैं, लेकिन किरायेदार और मालिकों के बीच कानूनी विवाद, पुनर्विकास की धीमी प्रक्रिया और वैकल्पिक व्यवस्था की कमी के चलते समस्या जस की तस बनी रहती है. हालांकि, राहत की बात यह है कि इस हादसे में किसी तरह की जनहानि नहीं हुई. लेकिन निवासियों ने प्रशासन से अपील की है कि जल्द से जल्द उनके लिए स्थायी और सुरक्षित पुनर्विकास की योजना पर काम शुरू किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों.

