मुंबई : गिफ्ट टैक्स के मुद्दे पर बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचा मुंबई का समलैंगिक कपल
Mumbai: Mumbai's gay couple approaches Bombay High Court on the issue of gift tax
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एक बहुत पुराना कानून रद्द किया। यह कानून 158 साल पहले अंग्रेजों ने बनाया था। इस कानून के अनुसार अगर समलैंगिक लोगों का आपसी सहमति से संबंध गैर कानूनी माना गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को रद्द करते हुए कहा कि यह यह कानून तर्कहीन, मनमाना और बचाव करने योग्य नहीं है। 2023 को LGBTQI समुदाय समेत तमाम लोगों ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिका दायर की। केस चला, फिर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संसद पर छोड़ दिया।
मुंबई : सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एक बहुत पुराना कानून रद्द किया। यह कानून 158 साल पहले अंग्रेजों ने बनाया था। इस कानून के अनुसार अगर समलैंगिक लोगों का आपसी सहमति से संबंध गैर कानूनी माना गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को रद्द करते हुए कहा कि यह यह कानून तर्कहीन, मनमाना और बचाव करने योग्य नहीं है। 2023 को LGBTQI समुदाय समेत तमाम लोगों ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिका दायर की। केस चला, फिर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संसद पर छोड़ दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। अब समलैंगिक कल को कई तरह की परेशानियां आ रही हैं, जिसमें से एक है आर्थिक और टैक्स के मामलों से जुड़ी।
समलैंगिक कपल की प्रॉब्लम
एक समलैंगिक कपल ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है। उन्होंने उसमें टैक्स नियम को चुनौती दी। उनका कहना है कि यह नियम उनके साथ भेदभाव करता है। उन्होंने कहा कि अगर वे एक-दूसरे को कोई गिफ्ट देते हैं तो उस पर टैक्स लगता है। जबकि विपरीत लिंग के जोड़े के साथ ऐसा नहीं है। उन्हें इस तरह का टैक्स नहीं देना पड़ता है। हालांकि एक महिला और एक पुरुष की शादी को कानूनी मान्यता है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्वीकार की याचिका
समलैंगिक कपल ने बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा है कि यह कानून उन्हें समानता का अधिकार नहीं देता है। उनके साथ लिंग के आधार पर भेदभाव होता है। हाई कोर्ट ने कपल की याचिका स्वीकार कर ली है। वित्त मंत्रालय ने 2024 में कहा कि LGBTQI समुदाय के लोगों को जॉइंट बैंक अकाउंट खोलने या अपने पार्टनर को नॉमिनी बनाने से कोई नहीं रोक सकता।
उत्तराधिकार की समस्या
सबसे बड़ी समस्या उत्तराधिकार की है। LGBTQI पार्टनर के लिए एक-दूसरे को उत्तराधिकार के माध्यम से सुरक्षित करना बहुत मुश्किल है। भारत में उत्तराधिकार के कानून सभी धर्मों में अलग-अलग हैं। ज्यादातर कानून उन्हीं रिश्तों को मान्यता देते हैं जो कानूनी रूप से वैध हैं। यही वजह है कि समलैंगिक कपल को उत्ताधिकार में दिक्कत होती है।

