नई दिल्ली : मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया; 10 जुलाई को सुनवाई होने की संभावना
New Delhi: Process of thorough revision of voter list; Hearing likely on July 10

बिहार में चल रही मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया के खिलाफ एक तरफ विपक्षी दल मुखर हैं और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग कर चुके हैं, जिस पर 10 जुलाई को सुनवाई होने की संभावना है। वहीं, दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में एक नई जनहित याचिका दाखिल हुई है, जिसमें पूरे देश में नियमित अंतराल में विशेषकर लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव से पहले मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण कराने का आदेश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इससे सिर्फ भारतीय नागरिकों के देश की राजनीति और नीति तय करना सुनिश्चित होगा।
नई दिल्ली : बिहार में चल रही मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया के खिलाफ एक तरफ विपक्षी दल मुखर हैं और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग कर चुके हैं, जिस पर 10 जुलाई को सुनवाई होने की संभावना है। वहीं, दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में एक नई जनहित याचिका दाखिल हुई है, जिसमें पूरे देश में नियमित अंतराल में विशेषकर लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव से पहले मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण कराने का आदेश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इससे सिर्फ भारतीय नागरिकों के देश की राजनीति और नीति तय करना सुनिश्चित होगा।
किसने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका?
यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है। उपाध्याय ने मंगलवार को न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए जल्दी सुनवाई का आग्रह किया, जिस पर कोर्ट ने कहा कि याचिका की खामियां दूर करिए मामला सुनवाई पर लगेगा। दाखिल जनहित याचिका में उपाध्याय ने कोर्ट से यह भी मांग की है कि कोर्ट सभी राज्यों को निर्देश दे कि वे उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कदम उठाए जो लोग विदेशी घुसपैठियों को गैर कानूनी और फर्जी दस्तावेज प्राप्त करने में मदद करते हैं।
याचिका में किस पर जताई गई चिंता?
याचिका में गैरकानूनी विदेशियों की घुसपैठ पर चिंता जताते हुए कहा गया है कि 200 जिलों और 1500 तहसीलों की जनसांख्यिकी गैरकानूनी घुसपैठ के कारण बदल गई है। याचिका में कहा गया है कि यह केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व है कि वे सुनिश्चित करें कि सिर्फ वास्तविक भारतीय नागरिक ही लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव में वोट करें न कि विदेशी। इसके लिए समय-समय पर मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण किया जाना जरूरी है। याचिका में केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा चुनाव आयोग व विधि आयोग को पक्षकार बनाया गया है।