पूर्व पुलिसकर्मी सचिन वाजे ख्वाजा यूनुस की हिरासत में मौत मामले में बनना चाहते हैं सरकारी गवाह...

Former policeman Sachin Waje wants to become a government witness in the custodial death case of Khwaja Yunus.

पूर्व पुलिसकर्मी सचिन वाजे ख्वाजा यूनुस की हिरासत में मौत मामले में बनना चाहते हैं सरकारी गवाह...

सॉफ्टवेयर इंजीनियर यूनुस को दिसंबर 2002 में घाटकोपर उपनगर में हुए बम विस्फोट के तुरंत बाद हिरासत में लिया गया था। उसे विस्फोट मामले में आगे की जांच के लिए औरंगाबाद ले जाया जा रहा था तभी पुलिस वाहन अहमदनगर जिले में दुर्घटनाग्रस्त हो गया और वह हिरासत से भाग निकला। इसके बाद राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने यूनुस को हिरासत में मारने और फिर सबूत नष्ट करने के आरोप में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

मुंबई : ख्वाजा यूनुस की हिरासत में मौत के मामले में बर्खास्त मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वाजे सरकारी गवाह बनने की मांग कर रहे है। इसके लिए सोमवार को उन्होंने एक अदालत के समक्ष याचिका दायर की है। बता दें कि 2003 के मामले में वाजे समेत चार पुलिसकर्मी मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सचिन पवार के समक्ष दायर हस्तलिखित याचिका में वाजे ने कहा कि उन्हें इस मामले में कभी गिरफ्तार नहीं किया गया। पूर्व पुलिसकर्मी ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने कहीं भी नहीं कहा कि वह कथित हत्या में शामिल था, न ही यूनुस के शव की पहचान की गई है। वाजे ने अदालत से अपना बयान दर्ज करने का अनुरोध किया जिसमें वह मामले के तथ्यों का पूर्ण और सच्चा खुलासा करने के लिए सहमत हुए हैं।

सचिन वाजे की याचिका में कहा गया, 'मैं पिछले 20 वर्षों से इस मामले के लंबित होने के कारण पीड़ित हूं। यह न केवल कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है, बल्कि यह मेरी आजीविका, प्रतिष्ठा और समाज में स्थिति को नुकसान पहुंचा रहा है।'

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याचिका में कहा गया है कि ऐसा नहीं लगता कि निकट भविष्य में मुकदमा दोबारा शुरू होगा और इस मुकदमे के खत्म होने में कुछ साल लगेंगे। वाजे ने कहा 'मैं जिस पीड़ा का सामना कर रहा हूं वह अंतहीन होगी। मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर कायम रहने का फैसला किया है और अपराध से संबंधित अपनी जानकारी के अनुसार पूर्ण और सच्चा खुलासा करना चाहता हूं।'

सॉफ्टवेयर इंजीनियर यूनुस को दिसंबर 2002 में घाटकोपर उपनगर में हुए बम विस्फोट के तुरंत बाद हिरासत में लिया गया था। उसे विस्फोट मामले में आगे की जांच के लिए औरंगाबाद ले जाया जा रहा था तभी पुलिस वाहन अहमदनगर जिले में दुर्घटनाग्रस्त हो गया और वह हिरासत से भाग निकला। इसके बाद राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने यूनुस को हिरासत में मारने और फिर सबूत नष्ट करने के आरोप में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

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सीआईडी जांच में उस समय 14 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया था, लेकिन सरकार ने केवल चार - वाजे, राजेंद्र तिवारी, राजाराम निकम और सुनील देसाई के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी। वे फिलहाल इस मामले में हत्या, सबूत गढ़ने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। सहायक पुलिस निरीक्षक के रूप में काम कर चुके वाजे वर्तमान में एंटीलिया बम कांड मामले में जेल में हैं।

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