हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को ब्योरा पेश करने का दिया आदेश
The High Court ordered the state government to submit the details
मुंबई हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को यह ब्योरा पेश करने का आदेश दिया कि राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के लिए बजट में किए गए प्रावधानों की तुलना में कितना धन आवंटित किया गया और कितना खर्च किया गया है। कोर्ट ने सरकार से राज्य के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल, पैरामेडिकल और अन्य स्टाफ की रिक्तियों का विवरण भी पेश करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने सरकार को हलफनामे में यह बताने का निर्देश दिया कि बजटीय प्रावधान के तहत वितरित धनराशि खर्च क्यों नहीं की गयी।
मुंबई : मुंबई हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को यह ब्योरा पेश करने का आदेश दिया कि राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के लिए बजट में किए गए प्रावधानों की तुलना में कितना धन आवंटित किया गया और कितना खर्च किया गया है। कोर्ट ने सरकार से राज्य के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल, पैरामेडिकल और अन्य स्टाफ की रिक्तियों का विवरण भी पेश करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने सरकार को हलफनामे में यह बताने का निर्देश दिया कि बजटीय प्रावधान के तहत वितरित धनराशि खर्च क्यों नहीं की गयी। पीठ ने मुख्य रूप से स्पष्ट किया कि उपरोक्त सभी विवरण जिलेवार होने चाहिए।
पिछले साल हाई कोर्ट ने नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी अस्पतालों में मौत के मामले पर संज्ञान लिया था और खुद जनहित याचिका दायर की थी। इस पर कल हुई सुनवाई के दौरान हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष मुद्दा उठाया कि स्वास्थ्य क्षेत्र में चिकित्सा उपकरणों की खरीद और चिकित्सा बुनियादी ढांचे के लिए बजट में आवंटित धन का उपयोग सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है। इस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने उक्त आदेश पारित किया। राज्य के कई सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में बड़ी संख्या में रिक्तियां हैं। परिणामस्वरूप, इन अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को चिकित्सा, गैर-चिकित्सा और पैरा-मेडिकल स्टाफ की अनुपलब्धता की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। याचिकाकर्ताओं ने अदालत को यह भी बताया कि इस साल के बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के लिए कितनी धनराशि स्वीकृत की गई और किनी खर्च की गई इसके अलावा, हम यह जानना चाहते हैं कि कितना धन आवंटित किया गया है और कितना धन खर्च किया गया है और स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित कितनी रिक्तियां भरी गई हैं और कितनी अभी भी खाली हैं।
पिछली सुनवाई के दौरान भी कोर्ट ने सरकार को खाली पदों को भरने के लिए तत्काल कदम उठाने का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने हलफनामा दाखिल कर माना था कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में विभिन्न स्तरों पर डॉक्टरों के ५७ हजार ७१४ स्वीकृत पदों में से २० हजार से ज्यादा पद खाली हैं। वर्ष २०२३ के लिए ८,६७४.८५ करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई है।

