मुंबई : 2030 तक मुबंई की सूरत बदल जाएगी;  ₹1.30 लाख करोड़ की लागत वाले 44,277 नए अपार्टमेंट्स 

Mumbai: Mumbai will be transformed by 2030; 44,277 new apartments costing ₹1.30 lakh crore

मुंबई : 2030 तक मुबंई की सूरत बदल जाएगी;  ₹1.30 लाख करोड़ की लागत वाले 44,277 नए अपार्टमेंट्स 

आने वाले अगले पांच सालों में मुबंई की सूरत बदल जाएगी। यह सूरत पूरे शहर में तेजी से जारी पुनर्विकास परियोजनाओं (रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स) से संभव होगा। रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म नाइट फ्रैंक इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है। रिपोर्ट कहती है कि साल 2030 तक रीडेवलपमेंट की वजह से ₹1.30 लाख करोड़ की लागत वाले 44,277 नए अपार्टमेंट्स रियल एस्टेट बाजार में आने वाले हैं।

मुंबई : आने वाले अगले पांच सालों में मुबंई की सूरत बदल जाएगी। यह सूरत पूरे शहर में तेजी से जारी पुनर्विकास परियोजनाओं (रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स) से संभव होगा। रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म नाइट फ्रैंक इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है। रिपोर्ट कहती है कि साल 2030 तक रीडेवलपमेंट की वजह से ₹1.30 लाख करोड़ की लागत वाले 44,277 नए अपार्टमेंट्स रियल एस्टेट बाजार में आने वाले हैं। इससे सरकार के काफी रेवेन्यू भी मिलने की पूरी उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुनर्विकास परियोजनाओं से 'फ्री-सेल' अपार्टमेंट्स की बिक्री के जरिए सरकार को रेवेन्यू मिलेगा। 

 

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कीमत आसमान पर, प्रोजेक्ट में लग सकता है लंबा समय
रिपोर्ट में कहा गया है कि पुनर्विकास परियोजनाओं से 7,830 करोड़ स्टांप ड्यूटी के रूप में और ₹6,525 करोड़ जीएसटी के रूप में मिलने की संभावना है। रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स पूरे शहर के रियल एस्टेट मार्केट को नई शक्ल देंगे। वैसे रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मौजूदा समय में मुंबई का रियल एस्टेट सेक्टर काफी महंगा हो चुका है। 

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यह कह पाना बड़ा मुश्किल है कि आगे का बाजार परिदृश्य कैसा रहेगा। अनुमान है कि एक सामान्य प्रोजेक्ट को शुरू होने से लेकर फ्लैट की डिलीवरी तक 8 से 11 साल का समय लग सकता है। देखा गया है कि कई हाउसिंग प्रोजेक्ट जिन्होंने 2020 में यह रीडेवलपमेंट का काम शुरू किया था, वह अब जाकर निर्माण या शुरुआती डिलीवरी स्टेज में पहुंची हैं।

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कई महत्वपूर्ण चुनौतियां अब भी कायम 
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई के डेवलपमेंट कंट्रोल एंड प्रमोशन रेगुलेशन 2034 जैसे नियामकीय ढांचों ने परियोजनाओं की व्यवहार्यता में सुधार तो किया है, लेकिन कई महत्वपूर्ण चुनौतियां अब भी कायम हैं। आजतक की खबर के मुताबिक, रिपोर्ट कहती है कि कई मार्केट साइकल, ब्याज दर में बदलाव, और नीतिगत उतार-चढ़ाव के चलते रीडेवलप किए जा रहे प्रोजेक्ट को पूरा करने में समय लग सकता है। एक जो बड़ी चुनौती है, वह यह कि सभी निवासियों के बीच सर्वसम्मति बनाना, संपत्ति के मालिकाना हक की स्पष्टता, और विभिन्न नागरिक निकायों से समय पर मंजूरी प्राप्त करना आसान नहीं है।

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