मुंबई : लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई जारी रहेगी - संजय राउत
Mumbai: The fight to save democracy will continue - Sanjay Raut
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई जारी रहेगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 2024 के महाराष्ट्र चुनावों में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज कर दी है । राउत ने कहा कि बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में चुनाव धांधली के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी ।
मुंबई : शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई जारी रहेगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 2024 के महाराष्ट्र चुनावों में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज कर दी है । राउत ने कहा कि बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में चुनाव धांधली के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी । प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संजय राउत ने कहा, "इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी लड़ाई खत्म हो गई है। चाहे बिहार हो या महाराष्ट्र , हम चुनावों में हुई धांधली के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे और आगे भी उठाते रहेंगे... लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई कभी नहीं रुकती। राउत ने कहा कि अदालत का फैसला स्वीकार्य नहीं है और उन्होंने शाम पांच बजे के बाद मतदान होने तथा सीसीटीवी फुटेज न दिए जाने पर चिंता जताई।
राउत ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमें स्वीकार्य नहीं है। सभी जानते हैं कि महाराष्ट्र में चुनाव को कैसे हाईजैक किया गया, कई मतदाता शाम 5 बजे के बाद मतदान केंद्र पर पहुंचे। वे कहां से आए? हम सीसीटीवी फुटेज मांग रहे हैं, लेकिन वे हमें नहीं दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में विसंगतियों का आरोप लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है । न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन.कोटिस्वर सिंह की पीठ ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के जून 2025 के आदेश के खिलाफ चेतन चंद्रकांत अहिरे द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया।
अहिरे ने इस आरोप के आधार पर चुनाव परिणामों को शून्य घोषित करने की मांग की कि शाम छह बजे मतदान समाप्त होने के बाद लगभग 75 लाख फर्जी मतदाताओं ने वोट डाले।उन्होंने मांग की कि मतदान प्रक्रिया में कथित उल्लंघन के कारण राज्य के सभी 288 विधानसभा क्षेत्रों के परिणामों को रद्द कर दिया जाए। याचिकाकर्ता ने आधिकारिक समय के बाहर डाले गए मतों का निर्वाचन क्षेत्रवार ब्यौरा देने तथा सफल उम्मीदवारों के निर्वाचन प्रमाण-पत्र रद्द करने की भी मांग की। उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि याचिका पूरी तरह से एक अखबार की रिपोर्ट पर आधारित है, इसमें काल्पनिक और निराधार दावे हैं, और यह कानून की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है।

