ठाणे : विशेष अदालत ने 2017 में हुई चोरी के एक मामले में तीन आरोपियों को दोषी ठहराया
Thane: Special court convicts three accused in a theft case that took place in 2017

महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक विशेष अदालत ने 2017 में हुई चोरी के एक मामले में तीन आरोपियों को दोषी ठहराया है, लेकिन उन्हें महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत लगे आरोपों से बरी कर दिया गया। मामले में सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश वीजी मोहिते ने आरोपी राहुल मच्छिंद्र शिंदे और दत्ता उमराव शिंदे को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 380 (घर में चोरी) के तहत दोषी पाते हुए पांच साल की सश्रम सजा सुनाई।
ठाणे : महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक विशेष अदालत ने 2017 में हुई चोरी के एक मामले में तीन आरोपियों को दोषी ठहराया है, लेकिन उन्हें महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत लगे आरोपों से बरी कर दिया गया। मामले में सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश वीजी मोहिते ने आरोपी राहुल मच्छिंद्र शिंदे और दत्ता उमराव शिंदे को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 380 (घर में चोरी) के तहत दोषी पाते हुए पांच साल की सश्रम सजा सुनाई। वहीं तीसरे आरोपी अमित उर्फ प्रवीण प्रेमचंद बग्रेचा को आईपीसी की धारा 411 (चोरी का माल जानबूझकर खरीदना/रखना) के तहत दोषी ठहराया गया और उन्हें 25 दिन की सश्रम कैद की सजा दी गई।
मकोका और डकैती के आरोपों से सभी बरी
हालांकि, अदालत ने तीनों आरोपियों को मकोका के तहत लगे संगठित अपराध के आरोपों से बरी कर दिया। राहुल और दत्ता शिंदे को आईपीसी की धारा 395 (डकैती) और 397 (डकैती करते समय जानलेवा हमला) से भी बरी कर दिया गया। बता दें कि इससे पहले 18 जुलाई को न्यायाधीश वीजी मोहिते ने अपने आदेश में कहा था कि मकोका के तहत अपराध साबित करने के लिए जरूरी है कि आरोपियों ने हिंसा, धमकी या जबरदस्ती का इस्तेमाल किया हो, लेकिन अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया।
अब समझिए क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि ये पूरा मामला तीन मार्च 2017 है। जब ठाणे पुलिस की एक टीम डोंबिवली के चंद्रेश पार्क इलाके में गश्त पर थी। तभी उन्हें चोरी की सूचना मिली। पुलिस ने पांच संदिग्धों का पीछा किया, जिसमें से दत्ता शिंदे को एक चोरी का टीवी और हथियार के साथ पकड़ा गया, बाकी चार फरार हो गए। बाद में दो अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया और चोरी के सोने के गहने बरामद किए गए। हालांकि शुरू में आरोपियों पर डकैती और गंभीर चोट पहुंचाने की कोशिश के आरोप लगे थे, लेकिन अदालत ने कहा कि घटना के दौरान किसी को चोट पहुंचाने या जान का खतरा पैदा करने की कोई कोशिश नहीं हुई।