महाराष्ट्र में स्कूलों में हिंदी पहली कक्षा से नहीं, पांचवीं से पढ़ाई जाए... डिप्टी सीएम अजित पवार ने जताई आपत्ति
Hindi should be taught in schools in Maharashtra from class 5, not class 1... Deputy CM Ajit Pawar expressed objection
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अजित पवार के अलावा, अभिनेता सयाजी शिंदे ने भी इस फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा, "छात्रों को मराठी सीखने की अनुमति दी जानी चाहिए, जो एक बहुत समृद्ध भाषा है। उन्हें कम उम्र में ही मराठी में पारंगत होना चाहिए और उन्हें किसी अन्य भाषा का बोझ नहीं डालना चाहिए। अगर इसे अनिवार्य बनाया ही जाना है, तो इसे कक्षा 5 के बाद ही बनाया जाना चाहिए।"
महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पहली कक्षा से पढ़ाने के सरकार के फैसले पर राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि बच्चों पर शुरुआत से ही अतिरिक्त भाषाई बोझ डालना उचित नहीं है और हिंदी की पढ़ाई कक्षा 5 से शुरू होनी चाहिए। मंगलवार को मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए पवार ने कहा "छात्रों को मराठी की शिक्षा कक्षा 1 से मिलनी चाहिए ताकि वे भाषा को पढ़ने और लिखने में दक्ष हो सकें। लेकिन हिंदी को कक्षा 1 से पढ़ाना जरूरी नहीं है।" उन्होंने कहा कि यह सुझाव सोमवार को मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में भी सामने रखा गया।
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने एक संशोधित आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया कि मराठी और इंग्लिश मीडियम स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। हालांकि सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि हिंदी अनिवार्य नहीं होगी, और किसी अन्य भारतीय भाषा को पढ़ने के लिए कम से कम 20 छात्रों की सहमति जरूरी होगी।
अजित पवार के अलावा, अभिनेता सयाजी शिंदे ने भी इस फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा, "छात्रों को मराठी सीखने की अनुमति दी जानी चाहिए, जो एक बहुत समृद्ध भाषा है। उन्हें कम उम्र में ही मराठी में पारंगत होना चाहिए और उन्हें किसी अन्य भाषा का बोझ नहीं डालना चाहिए। अगर इसे अनिवार्य बनाया ही जाना है, तो इसे कक्षा 5 के बाद ही बनाया जाना चाहिए।"