महाराष्ट्र में प्री मानसून बारिश से हजारों एकड़ प्याज की फसल बर्बाद... किसानों को भारी नुकसान
Thousands of acres of onion crop destroyed due to pre-monsoon rain in Maharashtra... Farmers suffer huge losses
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महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोल्ड ने कहा कि केंद्र सरकार को देश में आवश्यक वार्षिक उत्पादन को सार्वजनिक करना चाहिए ताकि किसान इसके मुताबिक योजना बना सकें और अतिरिक्त उपज का निर्यात किया जा सके। ऐसी स्थिति में प्याज की कोई कमी नहीं होगी और उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर प्याज मिल सकेगा। जब प्याज की कीमतें बढ़ती हैं, तो सरकार निर्यात शुल्क, न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाकर और निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठाती है। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।
महाराष्ट्र : महाराष्ट्र में प्री मानूसन बारिश ने प्याज किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है। बारिश के चलते प्याज उत्पादक आठ राज्यों में हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई। इसके चलते किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोल्ड ने बताया कि बारिश के कारण हजारों एकड़ में प्याज की फसल बर्बाद हो गई है। बारिश जारी है। ऐसे में नुकसान का आकलन नहीं हो सका है।
उन्होंने कहा कि धुले, नासिक, अहिल्यानगर, छत्रपति संभाजीनगर, पुणे, सोलापुर, बीड, धाराशिव, अकोला, जालना, बुलढाणा और जलगांव जैसे प्याज उत्पादक जिलों में बेमौसम बारिश हुई है। प्याज की कीमतें पहले से ही नीचे थीं और बेमौसम बारिश के कारण और गिर गई हैं। उन्होंने कहा कि लासलगांव बाजार में 20 मई तक औसत कीमत 1,150 रुपये प्रति क्विंटल थी।
उन्होंने कहा कि प्याज उत्पादक किसान रबी सीजन के लिए एक साल पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं। नर्सरी अगस्त-सितंबर में स्थापित की जाती है और नवंबर से जनवरी तक इसकी दोबारा बोवाई होती है। इस साल जिन किसानों ने मार्च से पहले फसल काट ली है, उन्हें प्रति एकड़ अच्छी उपज मिली है। जबकि अप्रैल-मई में कटाई करने वाले किसान भाग्यशाली नहीं रहे। क्योंकि फसल को अत्यधिक गर्मी और बेमौसम बारिश का सामना करना पड़ा है। कई किसानों के पास भंडारण की सुविधा नहीं है और जो लोग खेतों में अपनी उपज का भंडारण करते हैं, वे बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इन किसानों की कटी हुई फसल भीग गई। जबकि कई इलाकों में खड़ी फसलें भी नष्ट हो गई।
दिघोल्ड ने कहा कि नासिक देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक क्षेत्र है और 2024-25 में 2,90,136 हेक्टेयर में फसल की खेती की गई, जबकि 2023-24 में 1,67,285 हेक्टेयर और 2022-23 में 2,48,417 हेक्टेयर में फसल की खेती की गई। 2019 से केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद निर्यात मजबूत रहा है और पर्याप्त राजस्व प्राप्त हुआ है। प्याज उत्पादन में महाराष्ट्र देश में अग्रणी राज्य है।
उन्होंने कहा कि 2018-19 में 21.83 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया, जिससे 3,468 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई। 2019-20 में 11.49 लाख टन निर्यात किया गया और राजस्व 2,320 करोड़ रुपये था। 2021-22 में यह 15.73 लाख टन और 3,432 करोड़ रुपये था और 2022-23 में हमने 25.25 लाख टन प्याज का निर्यात किया और 4,522 करोड़ रुपये कमाए। 2023-24 के लिए यह आंकड़ा 17.17 लाख टन और 3,922 करोड़ रुपये था।
महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोल्ड ने कहा कि केंद्र सरकार को देश में आवश्यक वार्षिक उत्पादन को सार्वजनिक करना चाहिए ताकि किसान इसके मुताबिक योजना बना सकें और अतिरिक्त उपज का निर्यात किया जा सके। ऐसी स्थिति में प्याज की कोई कमी नहीं होगी और उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर प्याज मिल सकेगा। जब प्याज की कीमतें बढ़ती हैं, तो सरकार निर्यात शुल्क, न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाकर और निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठाती है। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।