बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद 96 वर्षीय बुजुर्ग महिला को 20 वर्षों से मुआवजा नहीं मिला...
Despite the order of Bombay High Court, a 96-year-old woman has not received compensation for 20 years...
1957 से 1972 के बीच बुजुर्ग महिला की जमीन तीन चरणों में अधिग्रहीत की गई थी। यह जमीन मुलुंड में गोपाल कृष्ण गोखले रोड के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहीत हुई थी। 1988 में अधिग्रहण के एवज में मुआवजे की मांग से जुड़ी महिला की याचिका पहले पंजीकृत हुई थी। लक्ष्मी अडवल नाम की बुजुर्ग महिला ने अथॉरिटी से एफएसआई और टीडीआर के रूप में कई बार मुआवजा देने का आग्रह किया था।
मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने अदालत के आदेश के बावजूद 96 वर्षीय बुजुर्ग महिला को मुआवजा न मिलने के मामले को लेकर राज्य सरकार और बीएमसी से जवाब मांगा है। 20 साल पहले कोर्ट ने बीएमसी को मुलुंड में जमीन अधिग्रहण के एवज में महिला के मुआवजे के संबंध में निर्णय लेने आदेश दिया था। सितंबर 2005 के इस आदेश का आज तक पालन नहीं हुआ है।
इससे परेशान बुजुर्ग महिला ने 21 फरवरी 2025 को हाई कोर्ट को पत्र लिखा था। जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस कमल खाता की बेंच ने पत्र को पढ़ने के बाद पाया कि दो दशक पहले दिए गए कोर्ट के आदेश को बीएमसी ने नहीं माना है। इसे देखते हुए बेंच ने कोर्ट के प्रोथोनोटरी ऐंड सीनियर मास्टर को बुजुर्ग महिला के लेटर को याचिका के रूप में पंजीकृत करने का निर्देश दिया है। आगामी 3 मार्च को बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई रखी है।
1957 से 1972 के बीच बुजुर्ग महिला की जमीन तीन चरणों में अधिग्रहीत की गई थी। यह जमीन मुलुंड में गोपाल कृष्ण गोखले रोड के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहीत हुई थी। 1988 में अधिग्रहण के एवज में मुआवजे की मांग से जुड़ी महिला की याचिका पहले पंजीकृत हुई थी। लक्ष्मी अडवल नाम की बुजुर्ग महिला ने अथॉरिटी से एफएसआई और टीडीआर के रूप में कई बार मुआवजा देने का आग्रह किया था।
गौरतलब है कि 60 फुट रोड चौड़ीकरण के दौरान महिला की जमीन ली गई थी। 2005 में कोर्ट ने बीएमसी को पहले 28.43 वर्ग मीटर के मुआवजा आठ हफ्ते में देने का निर्देश दिया था। शेष जमीन को लेकर कलेक्टर को याचिकाकर्ता और बीएमसी का पक्ष सुनकर इस मामले में निर्णय लेने को कहा था। महिला ने पत्र में शिकायत की है कि अब तक दो दशक पुराने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया है।

