गाजियाबाद में 1100 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने 'बिना नाम वाली शिकायत' पहुंचा दी लखनऊ,  एसीपी के खिलाफ बैठ गई जांच 

1100 traffic policemen in Ghaziabad filed an anonymous complaint in Lucknow, prompting an investigation against the ACP.

गाजियाबाद में 1100 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने 'बिना नाम वाली शिकायत' पहुंचा दी लखनऊ,  एसीपी के खिलाफ बैठ गई जांच 

गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस में तैनात एक एसीपी पर अवैध रूप से पैसे मांगने और भ्रष्टाचार  के गंभीर आरोप लगे हैं. यह शिकायत गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिसकर्मियों द्वारा लखनऊ हेडक्वार्टर और पुलिस कमिश्नर कार्यालय तक भेजी गई है. खास बात यह है कि शिकायत पत्र में किसी ने अपना नाम नहीं लिखा है. मामला इतना संवेदनशील है कि गाजियाबाद के एडिशनल कमिश्नर यातायात आलोक प्रियदर्शी ने औपचारिक जांच शुरू कर दी गई है. आखिर पूरा मामला क्‍या है, चलिए जानते हैं…

गाजियाबाद : गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस में तैनात एक एसीपी पर अवैध रूप से पैसे मांगने और भ्रष्टाचार  के गंभीर आरोप लगे हैं. यह शिकायत गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिसकर्मियों द्वारा लखनऊ हेडक्वार्टर और पुलिस कमिश्नर कार्यालय तक भेजी गई है. खास बात यह है कि शिकायत पत्र में किसी ने अपना नाम नहीं लिखा है. मामला इतना संवेदनशील है कि गाजियाबाद के एडिशनल कमिश्नर यातायात आलोक प्रियदर्शी ने औपचारिक जांच शुरू कर दी गई है. आखिर पूरा मामला क्‍या है, चलिए जानते हैं…

 

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जानकारी के अनुसार, यह शिकायत ट्रैफिक पुलिस के कई कर्मचारियों द्वारा की गई है. आरोप लगाया गया है कि गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस में तैनात एसीपी रैंक के अधिकारी रपट लिखने के नाम पर कुछ पुलिसकर्मियों से पैसे मांगते थे. बताया गया कि यदि कोई पुलिसकर्मी अपने तय ड्यूटी प्वाइंट पर मौजूद नहीं मिलता तो उसकी गैरहाजिरी दर्ज कर दी जाती थी. इसके बाद उस पर विभागीय कार्रवाई, लाइन हाजिरी या निलंबन का खतरा बन जाता था. आरोप यह भी है कि रपट लिखने या उसे हटवाने के नाम पर संबंधित कर्मचारियों से 5-5 हजार रुपये की डिमांड की जाती थी. यह पैसा कथित तौर पर ऑफिस में ही लिया जाता था. शिकायत में कहा गया है कि यह पूरी प्रक्रिया एक तरह से डर और दबाव बनाकर की जाती थी ताकि कोई पुलिसकर्मी खुलकर विरोध न करे.

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1100 ट्रैफिक पुलिसकर्मी गाजियाबाद में तैनात
गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस में इस समय करीब 1100 पुलिसकर्मी तैनात हैं. इनमें 1 डीसीपी, 1 एडिशनल डीसीपी, 3 एसीपी, 12 इंस्पेक्टर, 120 ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर और लगभग 800 सिपाही व हेड कांस्टेबल शामिल हैं. दिल्ली से सटा जिला होने की वजह से गाजियाबाद को हमेशा से प्राइम पोस्टिंग वाला जिला माना जाता है. यही कारण है कि यहां तैनाती को लेकर खासी चर्चा रहती है.

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यह शिकायत जब लखनऊ और पुलिस कमिश्नर के पास पहुंची तो पूरे विभाग में हड़कंप मच गया. अब इस पूरे प्रकरण की जांच एडिशनल पुलिस कमिश्नर (लॉ एंड ऑर्डर/ट्रैफिक) आलोक प्रियदर्शी की निगरानी में की जा रही है. उन्होंने बताया कि शिकायत पत्र के आधार पर जांच शुरू कर दी गई है. फिलहाल ट्रैफिक विभाग में तैनात सभी संबंधित पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं. आलोक प्रियदर्शी ने कहा मामले की जांच निष्पक्ष रूप से की जा रही है. जिन कर्मचारियों के बयान लिए जा रहे हैं उनसे पूरी जानकारी जुटाई जाएगी. जांच पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी.

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वहीं, पुलिस विभाग के सूत्रों के अनुसार यह पहला मामला नहीं है जब ट्रैफिक विभाग में भ्रष्टाचार की बात उठी हो. इससे पहले भी कई बार ड्यूटी चेकिंग और प्वाइंट डिप्लॉयमेंट को लेकर विवाद सामने आ चुके हैं लेकिन इस बार मामला एसीपी स्तर तक पहुंचने के कारण बेहद गंभीर माना जा रहा है.