मुंबई : ‘आईएएसवी त्रिवेणी’ पर सवार होकर विश्व भ्रमण; इतिहास रचने निकल रहा है 10 महिला अधिकारियों का एक दल
Mumbai: A team of 10 women officers is going to create history by travelling around the world on board 'IASV Triveni'
भारत के तीनों सशस्त्र बल थल सेना, वायु सेना और नौसेना की 10 महिला अधिकारियों का एक दल 11 सितंबर को इतिहास रचने निकल रहा है। यह दल मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से भारतीय सेना के नौकायन पोत ‘आईएएसवी त्रिवेणी’ पर सवार होकर विश्व भ्रमण के लिए रवाना होगा। तीनों सेनाओं से चुनी गई दस महिला अफसरों के दल में सेना की पा़ंच, वायु सेना की चार और नौसेना की एक अधिकारी शामिल हैं। इस अभियान का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा वरुडकर को दिया गया है। यह पहली बार है कि भारतीय सशस्त्र बल संयुक्त रूप से किसी जलयात्रा मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं। ये अधिकारी 26,000 से अधिक नॉटिकल मील की समुद्री यात्रा करेंगी।
मुंबई : भारत के तीनों सशस्त्र बल थल सेना, वायु सेना और नौसेना की 10 महिला अधिकारियों का एक दल 11 सितंबर को इतिहास रचने निकल रहा है। यह दल मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से भारतीय सेना के नौकायन पोत ‘आईएएसवी त्रिवेणी’ पर सवार होकर विश्व भ्रमण के लिए रवाना होगा। तीनों सेनाओं से चुनी गई दस महिला अफसरों के दल में सेना की पा़ंच, वायु सेना की चार और नौसेना की एक अधिकारी शामिल हैं। इस अभियान का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा वरुडकर को दिया गया है। यह पहली बार है कि भारतीय सशस्त्र बल संयुक्त रूप से किसी जलयात्रा मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं। ये अधिकारी 26,000 से अधिक नॉटिकल मील की समुद्री यात्रा करेंगी।
दो बार पार करेंगी भूमध्य रेखा
आईएएसवी त्रिवेणी इस दौरान दो बार भूमध्य रेखा पार करेंगी और तीन प्रमुख केप ‘केप लीउविन’, ‘केप हॉर्न’ और ‘केप ऑफ गुड होप’ को पार करेंगी। इस मिशन में वे प्रमुख महासागरों से होकर गुजरेंगी और ‘ड्रेक पैसेज’ जैसे दुनिया के सबसे खतरनाक समुद्री इलाकों में भी यात्रा करेंगी।
3 साल की ली ट्रेनिंग
इस मिशन पर निकलने से पहले इन महिला अफसरों के दल ने 3 साल तक कड़ी ट्रेनिंग ली है। मुंबई के मार्वे में स्थित हैवी ब्रिजिंग ट्रेनिंग कैंप के अनुभवी और कुशल प्रशिक्षकों ने सभी महिला अधिकारियों को ट्रेंड किया है। इन्हें नौवहन, संचार, स्कूबा डाइविंग, प्राथमिक चिकित्सा और प्राथमिक उपचार जैसी स्किल्स में ट्रेनिंग दी गई है।
9 महीने में पूरी होगी यात्रा
यह अभियान लगभग नौ महीने में पूरा होने की संभावना है, जिसके दौरान टीम चार विदेशी बंदरगाहों पर रुकेगी और मई 2026 में मुंबई लौटेगी। लेफ्टिनेंट कर्नल वरुडकर ने कहा कि टीम पिछले तीन वर्षों से प्रशिक्षण ले रही है और छोटी-छोटी यात्राओं में भाग ले रही है। इस साल की शुरुआत में टीम ने करीब 55 दिन समुद्र में बिताते हुए 3,600 नॉटिकल मील की यात्रा भी पूरी की है।
आईएएसवी त्रिवेणी के बारे में
‘आईएएसवी त्रिवेणी’ 50 फुट लंबा पोत है, जो फाइबर रिइन्फोर्स्ड प्लास्टिक से बना है। यह पोत पूरी तरह स्वदेशी है। इसे देश में ही पुडुचेरी में बनाया गया है। और यह आधुनिक नौवहन तथा संचार प्रणालियों से सुसज्जित है। यह सैटेलाइट संचार, जीपीएस और एआईएस सिस्टम से लैस है और इससे लगभग 60 दिन तक लगातार समुद्र में यात्रा की जा सकती है।
अनुभवी महिला अफसरों की टीम
टीम का हिस्सा स्क्वाड्रन लीडर श्रद्धा राजू ने कहा, "हम भारतीय सेना के नौकायन पोत (आईएएसवी) त्रिवेणी के अग्रदूत होंगे और भारतीय तीनों सेनाओं की शक्ति का प्रदर्शन करेंगे। श्रद्धा राजू को तकनीकी अधिकारी के रूप में 11 वर्षों का अनुभव है, जिन्होंने सुखोई-30 विमान पर काम किया है। नौसेना की कंस्ट्रक्टर लेफ्टिनेंट कमांडर प्रियंका गुसाईं ने बताया कि उन्हें नेवी में 8 साल का अनुभव है। उन्होंने कहा कि हम प्रवासी भारतीयों से मिलेंगे और एक तरह से अपने राजनयिक संबंधों को भी मज़बूत करेंगे। सुश्री गुसाईं को नौसेना में आठ साल का अनुभव है।
क्या बोलीं मेजर करमजीत कौर
मेजर करमजीत कौर ने कहा कि मेरा मानना है कि यह अभियान न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में इतिहास रचेगा। चिकित्सा और नर्सिंग बिरादरी के लिए, यह सचमुच जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर है। मुझे उनका प्रतिनिधित्व करने और उनकी ओर से इतिहास रचने पर गर्व है। चूंकि चिकित्सा या नर्सिंग बिरादरी से पहले कभी कोई नाविक नहीं रहा, इसलिए यह क्षण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह उनके लिए गर्व की बात है।

