छत्रपति संभाजीनगर: देवगिरी किले में ज्वलनशील सामग्री ले जाने से रोकने की मांग
Chhatrapati Sambhajinagar: Demand to stop carrying inflammable material in Devagiri Fort

प्रसिद्ध देवगिरी किले में हाल में आग लगी थी। भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक धरोहर न्यास ने इसे गंभीरता से लिया है और इस प्रकार की घटनाओं रोकने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके लिए इंटैक की एक टीम ने एएसआई से संपर्क किया है। भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक धरोहर न्यास ने पर्यटकों को किसी भी प्रकार की ज्वलनशील सामग्री साथ ले जाने से रोकने की मांग की है।
छत्रपति संभाजीनगर: प्रसिद्ध देवगिरी किले में हाल में आग लगी थी। भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक धरोहर न्यास ने इसे गंभीरता से लिया है और इस प्रकार की घटनाओं रोकने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके लिए इंटैक की एक टीम ने एएसआई से संपर्क किया है। भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक धरोहर न्यास ने पर्यटकों को किसी भी प्रकार की ज्वलनशील सामग्री साथ ले जाने से रोकने की मांग की है। इंटैक की एक टीम ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद् से मुलाकात कर इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा।
इंटैक ने ज्ञापन में दावा किया है कि किले के सबसे ऊपरी हिस्से पर स्थित बरादरी की छत पर उगी घास में आग लगने के बाद यह घटना हुई, जिससे लकड़ी के ढांचे भी चपेट में आ गए। इंटैक ने कहा है कि किले के भीतर उगने वाली घास और पेड़ों को नियमित रूप से हटाया जाना चाहिए।
कहां है देवेगिरी किला?
बता दें कि देवगिरी किले को दौलताबाद किले के नाम से भी जाना जाता है। यह किला महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित है और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। यह किला छत्रपति संभाजीनगर शहर से 16 किलोमीटर दूर है और नौवीं से 14वीं सदी तक यादव वंश की राजधानी रहा था। इस किले में आठ अप्रैल को आग लग गई थी, जिससे किले का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ था और वहां मौजूद बंदरों समेत अन्य वन्यजीवों को नुकसान पहुंचा था।