महाराष्ट्र/ वोटिंग का यही पैटर्न विधानसभा चुनाव में भी रहा तो बीजेपी की हार तय...

Maharashtra/ If this voting pattern continues in the assembly elections, then BJP's defeat is certain...

महाराष्ट्र/ वोटिंग का यही पैटर्न विधानसभा चुनाव में भी रहा तो बीजेपी की हार तय...

केंद्रीय मंत्रिमंडल के शपथग्रहण के दिन दिल्ली में एनसीपी चीफ अजीत पवार ने प्रेस वार्ता को संबोधित कर कहा कि हम बीजेपी द्वारा दी जा रही हिस्सेदारी को लेकर हम खुश नहीं है। हम एनडीए के साथ रहेंगे। संसद में 15 अगस्त तक हमारी संख्या 1 बढ़कर 4 हो जाएगी।

मुंबई: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंद की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है। केंद्रीय मंत्रिमंडल के शपथग्रहण के दिन दिल्ली में एनसीपी चीफ अजीत पवार ने प्रेस वार्ता को संबोधित कर कहा कि हम बीजेपी द्वारा दी जा रही हिस्सेदारी को लेकर हम खुश नहीं है। हम एनडीए के साथ रहेंगे। संसद में 15 अगस्त तक हमारी संख्या 1 बढ़कर 4 हो जाएगी।

वहीं शिवसेना नेता श्रीरंग बारणे ने कहा कि केंद्र में हमें सिर्फ राज्य मंत्री का पद मिला। जोकि हमारे साथ किए गए सौतेले व्यवहार को दिखाता है। हालांकि इस बयान के इतर एकनाथ शिंदे के बेटे और कल्याण से सांसद श्रीकांत शिंदे कह चुके हैं कि हम पूरी तरह से एनडीए के साथ है और हमेशा रहेंगे।

Read More महाराष्ट्र में शीतकालीन सत्र के बीच बड़ी हलचल... उद्धव ठाकरे ने की सीएम फडणवीस से मुलाकात

हम बिना शर्त एनडीए को अपना समर्थन देते रहेंगे। इस बीच आज आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा में चंद्रबाबू नायडू के शपथ ग्रहण में शिंदे तो नजर आए लेकिन अजीत पवार नदारद दिखे। ऐसे में इन बयानों से साफ है कि एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं है।

जानकारों की मानें तो बीजेपी और एनडीए महाराष्ट्र में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में करारी हार झेल सकते हैं। 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन ने 30 और एनडीए गठबंधन ने 17 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि 1 सीट पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की थी।

Read More महाराष्ट्र : प्याज की कीमतों में 50% की भारी गिरावट 

चुनाव में भाजपा को 26.18 प्रतिशत वोट शेयर मिला था और 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि शिवसेना शिंदे गुट को 7 सीटें और 12.95 प्रतिशत वोट शेयर, एनसीपी को 1 सीट और 3.60 प्रतिशत वोट शेयर था।

जबकि इंडिया गठबंधन में शामिल एनसीपी शरद पवार को 8 सीटें और 10.27 प्रतिशत वोट शेयर, शिवसेना यूबीटी को 16.72 प्रतिशत वोट शेयर और 9 सीटें, वहीं कांग्रेस को 16.92 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 13 सीटें मिली थी। कुल मिलाकर इंडिया को 42 प्रतिशत वोट मिले।

Read More मुंबई - पुणे एक्सप्रेसवे को आठ-लेन का करने का निर्णय

जबकि एनडीए को 43 प्रतिशत वोट मिले। यानी वोट शेयर में दोनों ही गठबंधन बराबरी पर छूटे लेकिन सीटों के मामले में इंडिया ने एनडीए को पछाड़ दिया। पिछले चुनाव में बीजेपी ने संयुक्त शिवसेना के साथ मिलकर 42 सीटें जीती थी। वहीं बीजेपी ने अकेले 23 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि 2024 के चुनाव में पार्टी ने 28 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ 9 सीटों पर जीत मिली। जबकि बड़े नेताओं की जीत का मार्जिन भी कम हो गया।

अगर लोकसभा चुनाव के नतीजे विधानसभा में भी रिपीट होते हैं तो 288 सदस्यों वाली विधानसभा में इंडिया गठबंधन को 180 सीटें मिल सकती हैं। ऐसे में यहां पर सबसे बड़ी मुश्किल बीजेपी के सामने है। क्योंकि पिछले लोकसभा चुनावों की तरह इस चुनाव में इनका वोट शेयर एक जैसा ही था लेकिन सीटें घटकर आधे से भी कम हो गई। ऐसे में शिवसेना और एनसीपी के बंटवारे से बीजेपी और अजीत पवार को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।

Read More पुणे स्थित ‘जय स्तंभ’ भूमि में 22 दिसंबर, 2024 से 5 जनवरी, 2025 की मध्यरात्रि तक प्रवेश करने की अनुमति

लोकसभा चुनाव इसलिए हार गया एनडीए

1. इंडिया की तुलना में एनडीए की पार्टियों में आपसी समन्वय का अभाव था। शिंदे और पीएम मोदी ने एनसीपी के उम्मीदवारों से दूरी बनाए रखी। इसके अलावा गुटबाजी के कारण भी एनडीए के उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचा।
2. एनसीपी अजित पवार के एनडीए में शामिल होने से अजित को मुसलमानों के वोट नहीं मिले। इसके अलावा संविधान बदलने की बात पर दलित वोटर्स भी उनसे छिटक गए।
3. बीजेपी की हार का सबसे बड़ा कारण मराठा आरक्षण भी रहा। मराठाओं के दबदबे वाले विदर्भ रीजन में पार्टी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली। जबकि इस क्षेत्र नितिन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस जैसे नेता आते हैं। लेकिन किसानों और मराठाओं की नाराजगी बीजेपी और एनडीए को भारी पड़ गई।
4. एनसीपी और शिवसेना के टूटने से उद्धव ठाकरे और शरद पवार को सहानुभूति वोट मिले। इससे भी भाजपा को नुकसान हुआ। वहीं मराठाओं को ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिला।
5. एक बड़ी समस्या किसानों का सुसाइड है। लोकसभा चुनाव के दौरान ही मराठवाड़ा और विदर्भ में 200 से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली। सुखे और बारिश नहीं होने से यहां के किसानों में बीजेपी के प्रति नाराजगी थी। इसके अलावा केंद्र में 10 साल से सत्ता में होने के बावजूद बीजेपी यहां के किसानों के लिए नदियों को जोड़कर कोई नहर नहीं ला पाई।
6. बीजेपी की हार में युवाओं का भी बड़ा योगदान रहा है। सूखे के कारण किसानों के जवान बेटे फौज में भर्ती होने जाते हैं ताकि परिवार को आर्थिक संकट से उबार सके लेकिन अग्निवीर योजना के कारण अब युवा आर्मी में जाने से कतरा रहे हैं।