जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मामले में SC इसी महीने सुनाएगा फैसला...

SC will give its verdict this month in the case of removal of Article 370 from Jammu and Kashmir...

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मामले में SC इसी महीने सुनाएगा फैसला...

तारीखों पर निगाह डालें तो 16 और 17 दिसंबर को शनिवार और रविवार है जबकि 18 दिसंबर से लेकर एक जनवरी तक सुप्रीम कोर्ट में क्रिसमस और शीतकालीन अवकाश रहेगा, ऐसे में 15 दिसंबर सुप्रीम कोर्ट का इस महीने का आखिरी कार्य दिवस होगा, इसलिए फैसला तब तक आ जाने की उम्मीद है।

नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35ए को समाप्त करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट इसी महीने फैसला सुना सकता है। बहुत कुछ उम्मीद है कि मामले में फैसला 15 दिसंबर तक ही आ जाए क्योंकि इस मामले में सुनवाई करने वाली पांच सदस्यीय पीठ के एक सदस्य न्यायाधीश संजय किशन कौल 25 दिसंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं उनकी सेवानिवृति से पहले ही मामले में फैसला आएगा।

तारीखों पर निगाह डालें तो 16 और 17 दिसंबर को शनिवार और रविवार है जबकि 18 दिसंबर से लेकर एक जनवरी तक सुप्रीम कोर्ट में क्रिसमस और शीतकालीन अवकाश रहेगा, ऐसे में 15 दिसंबर सुप्रीम कोर्ट का इस महीने का आखिरी कार्य दिवस होगा, इसलिए फैसला तब तक आ जाने की उम्मीद है।

केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 व अनुच्छेद 35ए को समाप्त कर दिया था। याचिकाकर्ताओं में जम्मू-कश्मीर के दो प्रमुख राजनीतिक दल नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के नेता शामिल हैं।

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याचिकाओं में जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में बांटे जाने के कानून जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट को भी चुनौती दी गई है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 16 दिन चली लंबी सुनवाई पूरी होने पर पांच सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

जस्टिस चंद्रचूड़ के अलावा पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला करीब तीन साल तक ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। मार्च 2020 के बाद मामले में 2 अगस्त को संविधान पीठ में नियमित सुनवाई शुरू हुई थी और पांच सितंबर को फैसला सुरक्षित हुआ।

नियम है कि किसी मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित होने पर उस पीठ में शामिल न्यायाधीशों की सेवानिवृति से पहले फैसला सुना दिया जाता है। अगर ऐसा नहीं होता है और पीठ का कोई न्यायाधीश फैसला सुनाए बगैर सेवानिवृत हो जाता है तो वह मामला दोबारा नये सिरे से सुनवाई के लिए नयी पीठ के सामने लगाया जाता है।

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इस मामले में सुनवाई करने वाली पीठ के न्यायाधीश संजय किशन कौल 25 दिसंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं इसीलिए फैसला उससे पहले आने की उम्मीद है।

मामले में बहस के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अनुच्छेद 370 समाप्त करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए उसे गैरकानूनी और असंवैधानिक ठहराया गया था। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि अनुच्छेद 370 समाप्त करने की अपनाई गई प्रक्रिया असंवैधानिक और गलत है। जबकि भारत सरकार ने प्रक्रिया को संविधान सम्मत बताया था।

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सरकार ने कोर्ट के समक्ष संवैधानिक प्रविधान और विभिन्न संधियों, विलय पत्रों का हवाला देते हुए कहा था कि अनुच्छेद 370 एक अस्थाई प्रविधान था जिसे समाप्त करने का भारत के राष्ट्रपति को अधिकार है। सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाने की तरफदारी करते हुए यह भी कहा था कि इसके हटने से जम्मू-कश्मीर के लोग भारत के अन्य नागरिकों के समान आ गए हैं उन्हें भी वे कानूनी अधिकार और केंद्रीय योजनाओं के लाभ मिलने लगे हैं जो पहले नहीं मिलते थे।

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इसके अलावा केंद्र सरकार ने यह भी कहा था कि अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में प्रगति हुई है वहां उद्योग और पर्यटन को बढ़ावा मिला है। आतंकवाद पर अंकुश लगा है।