मुंबई को बाढ़ से बचाने के लिए ड्रेनेज की होगी सफाई...98 किमी लंबी स्ट्रॉम वॉटर ड्रेनेज लाइन की सफाई होगी
Drainage will be cleaned to save Mumbai from floods… 98 km long storm water drainage line will be cleaned
पाइपों में मौजूद जहरीली गैसों को संयंत्रों की मदद से बाहर निकाला जाता है। इसके बाद साफ की गई पाइपलाइनों पर सीसीटीवी की मदद से नजर रखी जाती है। यदि आवश्यक हो तो पाइपलाइन की मरम्मत और रखरखाव कार्य किए जाते हैं। सफाई से इन ड्रेनेज लाइनों की पानी निकासी क्षमता को बहाल करने में मदद मिलती है, जिससे वर्षा जल तेजी से समुद्र में चला जाता है।
मुंबई: बीएमसी बारिश से होने वाली मुश्किलों से निपटने की तैयारी में जुट गई है। मुंबई में बरसात के पानी की निकासी के लिए बनी अंडरग्राउंड स्ट्रॉम वॉटर ड्रेनेज लाइन को साफ करने की बीएमसी ने योजना बनाई है। इसके तहत मुंबई शहर में कोलाबा से सायन तक 98 किमी लंबी स्ट्रॉम वॉटर ड्रेनेज लाइन की सफाई की जाएगी।
मुंबई शहर में ज्यादातर स्ट्रोम वॉटर ड्रेनेज लाइनें 100 साल से भी पुरानी, ब्रिटिश कालीन हैं। पहले चरण में 63 किमी लंबी पानी निकासी की लाइन की सफाई की जा चुकी है, जिससे कई इलाकों में जलजमाव की समस्या से छुटकारा मिला है। मुंबई शहर, पूर्वी उपनगर और पश्चिम उपनगर को मिलाकर लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी स्ट्रोम वॉटर ड्रेनेज लाइन का नेटवर्क है।
इनमें छोटी-बड़ी लाइन, सड़क के दोनों किनारों पर बनी लाइन, खुली और बंद सभी प्रकार की अंडर ग्राउंड लाइन, मेहराब, बक्से, पाइप जैसे विभिन्न आकार की लाइनें शामिल हैं। इनमें से कुछ लाइन 100 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं। ऐसी पुरानी पाइपलाइन ज्यादातर मुंबई सिटी में हैं। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसी पाइपलाइनों का रख-रखाव और मरम्मत काफी चुनौतीपूर्ण है। अधिकारी ने कहा कि बारिश के पानी की तेजी से निकासी के लिए स्ट्रोम वॉटर ड्रेनेज लाइन की नियमित सफाई और मरम्मत आवश्यक है।
बंद एवं भूमिगत वर्षा जल निकासी लाइनों के मैनहोल तथा दोनों ओर एक मीटर की दूरी तक का रख-रखाव, मरम्मत एवं सफाई बीएमसी द्वारा की जाती है। दो मैनहोल के बीच की दूरी लगभग 30 मीटर होती है । इसकी साफ-सफाई मजदूरों से कराना खतरे से खाली नहीं रहता है, क्योंकि ऐसी पाइपलाइनों के अंदर अंधेरा, जहरीली गैसें, ऑक्सिजन की कमी, सूखा कचरा रहता है।
बीएमसी के पास ऐसी आधुनिक सुविधाएं और विशेषज्ञ सहित कुशल कर्मचारी नहीं हैं, जो इन सभी चुनौतियों से पार पा सकें। मुंबई में सेक्शन और जेटिंग पद्धति से छोटे आकार की ड्रेनेज लाइनों की सफाई की जाती है। हालांकि सेक्शन और जेटिंग पद्धति बड़ी और चुनौतीपूर्ण स्ट्रोम वॉटर ड्रेनेज लाइनों की सफाई में सफल नहीं है।
इसके कारण लाइनों में कचरा जमा हो जाता है, जिससे पानी का बहाव धीमा हो जाता है। इसलिए बड़ी पाइपलाइनों के रख-रखाव व मरम्मत के लिए सिस्टमेटिक क्लीनिंग पद्धति अपनाई जाती है। बीएमसी अधिकारी ने बताया कि सिस्टेमेटिक क्लीनिंग पद्धति में बंद और भूमिगत पाइपलाइनों से कीचड़ और कचरे को पाइपों की मदद से बाहर निकाला जाता है। साथ ही पानी के जेटिंग द्वारा पाइपलाइनों को भी साफ किया जाता है।
पाइपों में मौजूद जहरीली गैसों को संयंत्रों की मदद से बाहर निकाला जाता है। इसके बाद साफ की गई पाइपलाइनों पर सीसीटीवी की मदद से नजर रखी जाती है। यदि आवश्यक हो तो पाइपलाइन की मरम्मत और रखरखाव कार्य किए जाते हैं। सफाई से इन ड्रेनेज लाइनों की पानी निकासी क्षमता को बहाल करने में मदद मिलती है, जिससे वर्षा जल तेजी से समुद्र में चला जाता है।

