अब कस्टम ड्यूटी भी कस्टमरों की जेब काटेगी...३५ वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाएगी सरकार
Now custom duty will also cut the pocket of customers… Government will increase tax on 35 items
महंगाई और बेरोजगारी ने पहले से ही आम जनता की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। नए साल की शुरुआत में ही आमजनों को महंगाई का गिफ्ट मिलने के बाद अब दूसरा झटका लगने के आसार नजर आ रहे हैं। अगले आम बजट की तैयारियों में केंद्र सरकार जुट गई है और आनेवाली खबरों के अनुसार अब कस्टम ड्यूटी भी कस्टमरों की जेब काटेगी।
मुंबई : महंगाई और बेरोजगारी ने पहले से ही आम जनता की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। नए साल की शुरुआत में ही आमजनों को महंगाई का गिफ्ट मिलने के बाद अब दूसरा झटका लगने के आसार नजर आ रहे हैं। अगले आम बजट की तैयारियों में केंद्र सरकार जुट गई है और आनेवाली खबरों के अनुसार अब कस्टम ड्यूटी भी कस्टमरों की जेब काटेगी। खबर है कि केंद्र सरकार ३५ से ज्यादा वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इनमें ज्यादातर आम आदमी द्वारा रोजमर्रा के उपयोग में लाई जानेवाली वस्तुएं हैं।
गौरतलब है कि अनाज, साग-सब्जियां, फल, खाद्य तेल, पेट्रोल-डीजल, सीएनजी-पीएनजी की कीमतें बढ़ने से आम जनता पहले से ही परेशान है। अब बताया जा रहा है कि ३५ से ज्यादा वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है। जिन वस्तुओं पर ड्यूटी बढ़ाए जानी है, उनकी सूची केंद्र सरकार ने तैयार कर ली है। विभिन्न मंत्रालयों के इनपुट के आधार पर ये सूची तैयार की गई है। इनकी जांच की जा रही है। इनमें प्लास्टिक के सामान, ज्वेलरी, हाई-ग्लॉस पेपर, विटामिंस, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स, निजी जेट, हेलिकॉप्टर्स आदि शामिल हैं।
चर्चा है कि १ फरवरी को पेश होनेवाले बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण कई तरह के सामानों पर आयात ड्यूटी बढ़ाने की घोषणा कर सकती हैं। ३५ से अधिक वस्तुओं के संभावित सीमा शुल्क वृद्धि के साथ ही उन पर टैक्स बढ़ने की संभावना है। देश के करेंट अकाउंट का घाटा यानी सीएडी सितंबर में समाप्त हुए तिमाही में नौ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया था। सितंबर तिमाही में यह जीडीपी का ४.४ फीसदी था।
उससे पिछली तिमाही में २.२ फीसदी था। ग्लोबल लेवल पर कई तरह के जिंस की कीमतों में गिरावट से स्थिति में सीएडी को लेकर कुछ चिंताएं कम हुई हैं लेकिन पॉलिसी मेकर सतर्क रहना चाहते हैं। वित्त वर्ष २०२४ में निर्यात दबाव में रहने की संभावना है। उन्नत अर्थव्यवस्था में मांग में कमी आने के बाद अर्थशास्त्री अगले वित्त वर्ष में सीएडी को जीडीपी के ३.३-३.४ फीसदी पर देखते हैं।
महंगाई और बढ़ने की आहट के बीच केंद्र सरकार के प्रति लोगों में नाराजगी है। गृहिणी संध्या राय का कहना है कि पहले से ही घर का बजट गड़बड़ाया हुआ है। आमदनी कम है, जबकि खर्च बढ़ गया है। सरकार को आम जनता का विचार करना चाहिए। नागेंद्र सालुंखे के मुताबिक भले ही गैर-जरूरी सामानों की बात कही जा रही है, लेकिन प्लास्टिक के सामान, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं, ज्वेलरी और विटामिंस आदि आम लोगों की जरूरतों का अहम हिस्सा हैं।
आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार निर्यात वृद्धि को पछाड़ने के लिए स्थानीय मांग के साथ व्यापारिक घाटा ५ बिलियन प्रति माह रह सकता है, जो कि जीडीपी के ३.२-३.४ प्रतिशत के सीएडी में परिवर्तित हो सकता है।

