मुंबई : म्हाडा द्वारा आयोजित लॉटरी में आरक्षित घरों को आम जनता के लिए उपलब्ध कराने के लिए परीक्षण शुरू
Mumbai: Trial begins to make houses reserved in the lottery conducted by MHADA available to the general public
By: Online Desk
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महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट ऑथॉरिटी (म्हाडा) द्वारा आयोजित हाउसिंग लॉटरी में आर्थिक रूप से कमजोर और निम्न आय वर्ग के लिए आरक्षित घरों को आम जनता के लिए उपलब्ध कराने के लिए एक परीक्षण शुरू किया गया है। आय वर्ग की समस्या के कारण ये आवास संबंधितों को उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण खाली रह गए। बल्कि यह परीक्षण यह देखने के लिए शुरू किया गया है कि क्या ये घर आम लोगों को उपलब्ध कराए जा सकते हैं। म्हाडा में लगभग ११ प्रतिशत घर पूर्व जन प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों के लिए आरक्षित हैं।
मुंबई : महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट ऑथॉरिटी (म्हाडा) द्वारा आयोजित हाउसिंग लॉटरी में आर्थिक रूप से कमजोर और निम्न आय वर्ग के लिए आरक्षित घरों को आम जनता के लिए उपलब्ध कराने के लिए एक परीक्षण शुरू किया गया है। आय वर्ग की समस्या के कारण ये आवास संबंधितों को उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण खाली रह गए। बल्कि यह परीक्षण यह देखने के लिए शुरू किया गया है कि क्या ये घर आम लोगों को उपलब्ध कराए जा सकते हैं। म्हाडा में लगभग ११ प्रतिशत घर पूर्व जन प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों के लिए आरक्षित हैं।
म्हाडा के प्रत्येक ड्रा में पूर्व जनप्रतिनिधियों (दो प्रतिशत), म्हाडा कर्मचारियों (दो प्रतिशत), राज्य सरकार और निगमों के पूर्व कर्मचारियों (पांच प्रतिशत), सेवानिवृत्त या सेवानिवृत्त केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए तीन प्रतिश घर आरक्षित है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आय सीमा ३ लाख रुपए और निम्न आय वर्ग के लिए ३ से ६ लाख रुपए है। जन प्रतिनिधियों या सरकारी कर्मचारियों का वेतन इस सीमा के अंतर्गत नहीं आता है। इसलिए, म्हाडा को आर्थिक रूप से कमजोर और निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए वास्तविक खरीदार नहीं मिलते हैं। ये मकान हर ड्रा में खाली रह जाते हैं। इसके बजाय, यह परीक्षण किया जा रहा है कि क्या ये घर आम जनता के लिए उपलब्ध कराए जा सकते हैं। पूर्व जन प्रतिनिधियों के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की आय मध्यम या उच्च आय वर्ग में आती है।
अत: वह लाभ इस समूह में बना रहेगा। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और निम्न आय वर्ग के सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों को आरक्षण देने का पैâसला १९८१ में लिया गया था। उस समय इन कर्मचारियों-अधिकारियों की आय कम हो गयी थी। ७वां वेतन आयोग लागू होने के बाद इन कर्मचारियों-अधिकारियों की आय में बढ़ोतरी हुई है। इसलिए वे आवेदन नहीं कर सकते क्योंकि वे आर्थिक रूप से कमजोर या अल्पसंख्यक समूह से नहीं हैं। ऐसे समय में म्हाडा प्रशासन ने निर्णय लिया है कि इस आरक्षण को बरकरार रखना उचित नहीं है। बताया जा रहा है कि समीक्षा समिति ने भी इस संबंध में सिफारिश की है। इसके लिए आवश्यक बदलाव करने के लिए सरकार के साथ-साथ म्हाडा प्राधिकरण की मंजूरी भी आवश्यक है।


