राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल शीत सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित...विरोध में विपक्षी सदस्यों से किया सदन से वॉकआउट
State President of NCP Jayant Patil suspended for the rest of the winter session ... In protest, the opposition members walked out of the House
विधानसभा में हाई वोल्टेज ड्रामे के नाम रहा। सत्ता पक्ष और विपक्ष की वजह से सदन का कामकाज कुल 8 बार रोकना पड़ा। इसकी परिणीति राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल के शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के निलंबन के रूप में हुई। दरअसल जयंत पाटिल ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के विरोध में असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल कर दिया।
नागपुर : विधानसभा में हाई वोल्टेज ड्रामे के नाम रहा। सत्ता पक्ष और विपक्ष की वजह से सदन का कामकाज कुल 8 बार रोकना पड़ा। इसकी परिणीति राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल के शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के निलंबन के रूप में हुई। दरअसल जयंत पाटिल ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के विरोध में असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल कर दिया।
इससे सदन में मौजूद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सबसे पहले भड़क उठे और उन्होंने जयंत पाटिल के निलंबन की मांग रखी। बाद में संसदीय कार्य मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने उनके निलंबन का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने बहुमत से मंजूर कर लिया। निलंबन अवधि के दौरान जयंत पाटिल नागपुर और मुंबई के विधानभवन में प्रवेश नहीं कर पाएंगे।
पाटिल के निलंबन के विरोध में विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया। महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 30 दिसंबर तक चलेगा। विपक्षी सदस्यों को बोलने नहीं देने के मामले में राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल क्रोधित हो गए और उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल कर दिया।
इससे विधानसभा में हंगामा मच गया। सत्ताधारी दल के सदस्यों ने उन्हें एक साल के लिए निलंबित करने की मांग शुरू कर दी। भारी हंगामे के बीच सदन का कामकाज 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया। सदन का कामकाज शुरू होने पर संसदीय कार्य मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने जयंत पाटिल के निलंबन का प्रस्ताव रखा।
पाटिल ने प्रस्ताव में कहा कि जयंत पाटिल ने गैर जिम्मेदाराना बयान दिया है और उन्हें नागपुर अधिवेशन की शेष अवधि तक निलंबित किया जाए। साथ ही यह मामला आचरण और मूल्य नीति समिति बनाकर उसे जांच के लिए सौंपा जाए। पाटिल के प्रस्ताव को बहुमत के आधार पर मंजूर कर लिया गया। इसके बाद जयंत पाटिल सदन से उठकर चले गए।
जयंत पाटिल पर हुई कार्रवाई के विरोध में विपक्ष आक्रामक हो गया। नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने कहा कि जो कुछ हुआ उस पर वे खेद व्यक्त करते हैं, लेकिन यह खेद निलंबन वापस लेने के लिए नहीं है। कुछ गलती हो जाती है, तो उस पर खेद व्यक्त कर आगे बढ़ जाना चाहिए। रात 12 बजे से एक नई शुरुआत होनी चाहिए।
सदन में जो कुछ हुआ, वह नहीं होना चाहिए था। हमने मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री से बातचीत कर मार्ग निकालने का प्रयास किया। एकाध शब्द असावधानीवश मुंह से निकल जाता है। जयंत पाटिल विधायक दल नेता के रूप में काम करते हैं। सत्ताधारी और विपक्ष को समान अवसर मिले तो मार्ग निकल सकता है। अजित पवार ने कहा कि राकांपा प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। यह कहने के बाद उन्होंने सदन से वॉकआउट कर दिया।
जयंत पाटिल के निलंबन के विरोध में विपक्षी सदस्यों ने विधानभवन की सीढ़ियों पर जोरदार नारेबाजी की। विपक्ष के विधायक बेशर्म सरकार...बेशर्मी का कहर, जयंत पाटिल तुम आगे बढ़ो...हम तुम्हारे साथ हैं...नहीं चलेगी...नहीं चलेगी..तानाशाही नहीं चलेगी जैसे नारे लगा रहे थे।
जयंत पाटिल को कंधे पर उठाकर विपक्ष के विधायक तुम संघर्ष करो...हम तुम्हारे साथ हैं, के नारे लगा रहे थे। इधर राकांपा युवा कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के खिलाफ शुक्रवार 23 दिसंबर को राज्यभर में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है।
विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश: जयंत पाटिल
निलंबन के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए जयंत पाटिल ने कहा कि सदन में ऐसा ( दिशा सालियान ) मामला उठाया गया, जो सूचीबद्ध नहीं था। उसके बाद सत्ताधारी दल के 14 सदस्यों को बोलने का मौका दिया गया।
हम शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के विधायक भास्कर जाधव को अपनी बात रखने की मांग कर रहे थे, तब मैंने कहा कि आप ऐसी बेशर्मी मत कीजिए...। इसका अर्थ सत्तारुढ़ और विपक्ष को बराबर के अवसर देना था। इसके बाद मुझे निलंबित कर दिया गया, यह विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश है।

