ठाणे जिले में नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की सजा...

Man sentenced to 20 years for raping minor in Thane district

ठाणे जिले में नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की सजा...

महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने 14 वर्षीय नाबालिग से कई बार दुष्कर्म और उसे गर्भवती करने के एक प्रकरण में दोषी व्यक्ति को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी. आर. अष्टुरकर ने व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत बलात्कार का दोषी करार दिया।

ठाणे : महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने 14 वर्षीय नाबालिग से कई बार दुष्कर्म और उसे गर्भवती करने के एक प्रकरण में दोषी व्यक्ति को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी. आर. अष्टुरकर ने व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत बलात्कार का दोषी करार दिया।

अदालत ने आरोपी को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और उस पर 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत द्वारा एक अक्टूबर को आदेश पारित किया था,जिसकी प्रति शुक्रवार को उपलब्ध करवाई गई। अतिरिक्त लोक अभियोजक अश्विनी बी. पाटिल-भामरे और कादम्बिनी खंडागले ने अदालत को बताया कि आरोपी पीड़िता के भाई का दोस्त था और वह लोग पड़ोसी थे। 

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उन्होंने बताया कि 15 जनवरी 2015 की रात जब पीड़िता घर में अकेली थी, तो आरोपी वहां गया और उसका यौन उत्पीड़न किया। आरोपी ने एक महीने तक लगातार पीड़िता से दुष्कर्म किया। अभियोजन पक्ष ने कहा कि पीड़िता की मां को घटना के बारे में लड़की के गर्भवती होने के बाद पता लगा। इस संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज होने के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया। 

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न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि घटना के समय पीड़िता केवल 14 वर्ष की थीं और उसे नहीं पता था कि वह आरोपी द्वारा किए गए कृत्य के कारण गर्भवती हो गई है। परिवार को इस संबंध में जानकारी मिलने में देरी के कारण गर्भ को गिराया नहीं जा सकता था।

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इस कारण मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही लड़की ने एक बच्चे को जन्म दिया था। न्यायाधीश ने यह भी आदेश दिया कि जुर्माना राशि वसूल होने के बाद पीड़िता को मुआवजा दिया जाये। इसके अलावा मनोधैर्य योजना या सरकार की किसी अन्य मुआवजा योजना के तहत भी पीड़िता को मुआवजा दिया जाना चाहिए।

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