
बंगले का अवैध हिस्सा गिराने का मामला : महाराष्ट्र में सरकार क्या बदली, नारायण राणे के लिए नियम भी बदल गए...
The case of demolition of illegal part of the bungalow: what changed the government in Maharashtra, the rules also changed for Narayan Rane...
CBI का सरकार दुरुपयोग कर रही है। ED का भी दुरुपयोग कर रही है। वर्षों कांग्रेस की सरकार थी तब भी ये ही आवाजें आती थीं और अब जब भाजपा की सरकार आई है तब भी हालात वैसे ही हैं। खैर सरकारें बदल जाती हैं।
महाराष्ट्र : सुनते हैं CBI का सरकार दुरुपयोग कर रही है। ED का भी दुरुपयोग कर रही है। वर्षों कांग्रेस की सरकार थी तब भी ये ही आवाजें आती थीं और अब जब भाजपा की सरकार आई है तब भी हालात वैसे ही हैं।
खैर सरकारें बदल जाती हैं।
बदलती रहती हैं, लेकिन प्रशासन का स्वभाव वैसा ही रहता है। आया राम गयाराम जैसा। गंगा गए, गंगादास, जमना गए, जमनादास। अफसर सरकारों को बदलने से बदलते रहते हैं। व्यक्ति के स्तर पर नहीं। स्वभाव के स्तर पर। वे गिरगिट होते हैं। माहौल देखते हैं। रंग बदल लेते हैं।
इसका ताजा और मौजू उदाहरण मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में देखने को मिला। दरअसल, नारायण राणे महाराष्ट्र के बड़े शक्तिशाली नेता रहे हैं। शायद हैं भी। पहले ये शिवसेना के जांबाज नेता कहलाते थे। आजकल भाजपा में पाए जाते हैं। इसीलिए केंद्रीय मंत्री भी हैं।
लम्बे समय से मुंबई के जूहू रोड पर इनके आठ मंजिला आलीशान भवन का विवाद चल रहा है। जब महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार हुआ करती थी तो मुंबई महानगर पालिका ने इन्हें नोटिस दिया कि आपके भवन में फलां-फलां हिस्सा बिना अनुमति के बनाया गया है। या तो इसे तुरंत दुरुस्त कर लें वर्ना इसे गिरा दिया जाएगा।
जैसा कि होता है, राणे ने इसे राजनीतिक द्वेष की कार्रवाई बताई और उनकी कंपनी इस मामले को लेकर हाई कोर्ट पहुंच गई। दोनों पक्षों की ओर से तर्क, वितर्क हुए।
हाई कोर्ट ने कुछ वक्त के लिए कार्रवाई न करने का आदेश दिया और जांच के आदेश भी। एक-दो सुनवाई हुई। बहस भी हुई। मामला फिर टल गया। अगली सुनवाई 23 अगस्त तय हुई थी।
बिल्ली के भाग से छींका टूट गया। यानी इस बीच सरकार ही बदल गई। ठाकरे सरकार गिर गई और उस दल के समर्थन वाली सरकार आ गई जिस दल की केंद्र सरकार में आजकल राणे जी मंत्री हैं। अब देखिए- पासा कैसे पलटता है! सरकार क्या बदली। मुंबई महानगर पालिका भी बदल गई।
उसने इस बार हाई कोर्ट से कहा- ठीक है साहब, राणे जी के भवन का कुछ हिस्सा अवैध है, लेकिन हम इसे अब गिराना नहीं चाहते। हर्जाना वसूलकर उसे रेगुलराइज कर देंगे।
यह सुनते ही वहां मौजूद लोगों की हालत काटो तो खून न निकले जैसी हो गई! हाई कोर्ट को गुस्सा आया। उसने कहा- मजाक चल रहा है? आप यानी महानगर पालिका क्या हाई कोर्ट से ऊपर हो गई?
सुनवाई पूरी होने से पहले क्या आप हमें निर्णय सुनाना चाहते हैं। पहले तो आप भवन गिराने पर आमादा थे और अब आप हर्जाना लेकर ही तमाम नियमों को शिथिल कर देना चाहते हैं, क्यों?
महा नगर पालिका के पास कोई जवाब नहीं था। ये ही होता आया है। सरकारें बदलने के साथ रसूख वालों के लिए कैसे नियम भी बदल जाते हैं, यह इसका ज्वलंत उदाहरण है।
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