मुंबई : दस स्टेशनों का नियंत्रण जल्द ही रेलवे प्रशासन को मिलने की संभावना

Mumbai: Railway administration likely to soon take control of ten stations

मुंबई : दस स्टेशनों का नियंत्रण जल्द ही रेलवे प्रशासन को मिलने की संभावना

सेंट्रल रेलवे के हार्बर रूट पर स्थित दस स्टेशनों का नियंत्रण जल्द ही रेलवे प्रशासन को मिलने की संभावना है। सिडको और रेलवे के बीच इस संबंध में बातचीत चल रही है, और उम्मीद है कि जल्द ही कोई फैसला लिया जाएगा। इन स्टेशनों का निर्माण सिडको ने 25 साल पहले किया था, लेकिन उनके रखरखाव और मरम्मत की जिम्मेदारियों को लेकर दोनों संस्थाओं के बीच मतभेद हैं। इसी कारण से यह निर्णय लिया गया है। रेलवे प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि स्टेशनों की आवश्यक मरम्मत और नवीनीकरण के बाद ही उन्हें नए स्वरूप में स्वीकार किया जाएगा। वाशी-पनवेल हार्बर मार्ग पर प्रतिदिन लगभग 12-14 लाख यात्री यात्रा करते हैं।

मुंबई : सेंट्रल रेलवे के हार्बर रूट पर स्थित दस स्टेशनों का नियंत्रण जल्द ही रेलवे प्रशासन को मिलने की संभावना है। सिडको और रेलवे के बीच इस संबंध में बातचीत चल रही है, और उम्मीद है कि जल्द ही कोई फैसला लिया जाएगा। इन स्टेशनों का निर्माण सिडको ने 25 साल पहले किया था, लेकिन उनके रखरखाव और मरम्मत की जिम्मेदारियों को लेकर दोनों संस्थाओं के बीच मतभेद हैं। इसी कारण से यह निर्णय लिया गया है। रेलवे प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि स्टेशनों की आवश्यक मरम्मत और नवीनीकरण के बाद ही उन्हें नए स्वरूप में स्वीकार किया जाएगा। वाशी-पनवेल हार्बर मार्ग पर प्रतिदिन लगभग 12-14 लाख यात्री यात्रा करते हैं।

 

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प्रमुख स्टेशनों में बेलापुर, खारघर, जुईनगर, सानपाड़ा जैसे हार्बर मार्ग के स्टेशन, और घनसोली, ऐरोली, रबाले जैसे ट्रांस-हार्बर के स्टेशन शामिल हैं। सिडको ने रेलवे से इन स्टेशनों की जिम्मेदारी मौजूदा स्थिति में लेने को कहा है। हालांकि, इन स्टेशनों पर बनी इमारतें 20-25 साल पुरानी हैं। इसलिए, रेलवे ने मांग की है कि इन इमारतों का आवश्यक रखरखाव और मरम्मत करके उन्हें नए सिरे से स्थानांतरित किया जाए। जिन स्टेशनों को मध्य रेलवे अपने नियंत्रण में लेने पर विचार कर रहा है, उनमें वाशी, सानपाड़ा, जुईनगर, नेरुल, सीवुड, बेलापुर, खारघर, मानसरोवर, खांडेश्वर और पनवेल शामिल हैं।

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वर्तमान में, वाशी-पनवेल और ठाणे-तुर्भे-सानपाड़ा मार्गों पर यात्रा करने वाले यात्रियों से सामान्य टिकट के साथ एक अतिरिक्त अधिभार लिया जाता है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, सिडको को प्रति माह औसतन 5 करोड़ रुपये का अधिभार दिया जाता है। अप्रैल से अब तक 25 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सिडको के पास जमा की जा चुकी है। इसके बावजूद, यात्रियों की शिकायत है कि सिडको द्वारा स्टेशनों के रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 

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इन स्टेशनों की वर्तमान स्थिति काफी दयनीय है। प्लेटफॉर्म पर लगी टाइलें टूटी हुई हैं, और भूमिगत मार्ग तथा वेंटिलेशन की स्थिति भी अच्छी नहीं है। इसके अलावा, प्रकाश और बिजली की व्यवस्था भी अपर्याप्त है। इसलिए, यात्रियों को उम्मीद है कि रेलवे द्वारा स्टेशनों का अधिग्रहण करने से उनकी सुविधाओं और रखरखाव में सुधार होगा। 

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हार्बर मार्ग पर कौन से स्टेशन जल्द 
ट्रांसफर हो सकते हैं? वाशी-पनवेल हार्बर मार्ग के दस स्टेशन, जिनमें वाशी, सानपाड़ा, जुईनगर, नेरुल, सीवुड, बेलापुर, खारघर, मानसरोवर, खांडेश्वर और पनवेल शामिल हैं, हस्तांतरित होने की संभावना है। ट्रांस-हार्बर मार्ग के घनसोली, ऐरोली, रबाले जैसे स्टेशन भी महत्वपूर्ण हैं। 

इन स्टेशनों का ट्रांसफर कब और कैसे होगा? 
सिडको और रेलवे प्रशासन के बीच बातचीत जारी है, और जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। मध्य रेलवे इन स्टेशनों को तभी स्वीकार करेगी जब उनकी आवश्यक मरम्मत और नवीनीकरण हो जाएगा। 20-25 साल पुरानी इमारतों का रखरखाव और मरम्मत करके ही हस्तांतरण किया जाएगा। 

यह ट्रांसफर क्यों हो रहा है? 
सिडको ने इन स्टेशनों का निर्माण 25 साल पहले किया था, लेकिन रखरखाव और मरम्मत की जिम्मेदारियों पर दोनों संस्थाओं में मतभेद हैं। हालांकि सिडको ने जिम्मेदारी लेने को कहा है, रेलवे ने मरम्मत के बाद ही नियंत्रण लेने का फैसला किया है। इससे स्टेशनों का बेहतर रखरखाव सुनिश्चित हो पाएगा।