नालासोपारा : बच्चा चौथी मंजिल से गिर गया जान बच गई; हॉस्पिटल ले जा रहे थे जाम ने छीन ली जान
Nalasopara: Child falls from fourth floor, survives; traffic jam kills child on way to hospital
महाराष्ट्र से दिल को चीर देने वाली एक घटना सामने आई है. खेलते समय 2 साल का बच्चा चौथी मंजिल से गिर गया. कुदरत का करिश्मा कहिए कि उसकी जान बच गई. घरवाले घायल बच्चे को इलाज के लिए हॉस्पिटल ले जा रहे थे, पर 5 घंटे की लंबी जाम ने उसकी जान छीन ली. देश के बड़े शहरों में अनेक तरह की समस्याएं सामने आती हैं. इनमें ट्रैफिक जाम का प्रोब्लम काफी अहम है. दिल्ली-NCR से लेकर बेंगलुरु और मुंबई तक में इस समस्या से आमलोगों को हर दिन जूझना पड़ता है. बेंगलुरु में ट्रैफिक जाम की वजह से होने वाली परेशानी को लेकर अक्सर ही चर्चाएं होती रहती हैं. अब मुंबई में इस समस्या का भयानक परिणाम सामने आया है.
नालासोपारा : महाराष्ट्र से दिल को चीर देने वाली एक घटना सामने आई है. खेलते समय 2 साल का बच्चा चौथी मंजिल से गिर गया. कुदरत का करिश्मा कहिए कि उसकी जान बच गई. घरवाले घायल बच्चे को इलाज के लिए हॉस्पिटल ले जा रहे थे, पर 5 घंटे की लंबी जाम ने उसकी जान छीन ली. देश के बड़े शहरों में अनेक तरह की समस्याएं सामने आती हैं. इनमें ट्रैफिक जाम का प्रोब्लम काफी अहम है. दिल्ली-NCR से लेकर बेंगलुरु और मुंबई तक में इस समस्या से आमलोगों को हर दिन जूझना पड़ता है. बेंगलुरु में ट्रैफिक जाम की वजह से होने वाली परेशानी को लेकर अक्सर ही चर्चाएं होती रहती हैं. अब मुंबई में इस समस्या का भयानक परिणाम सामने आया है.
जानकारी के अनुसार, मुंबई से सटे नालासोपारा में 2 साल का बच्चा चौथी मंजिल से गिर गया था. इस हादसे में बच्चा बच भी गया था. वह बस घायल हो गया था. उसे इलाज के मुंबई लाया जा रहा था, लेकिन एंबुलेंस जाम में फंस गई. एक या दो नहीं, बल्कि बच्चे को अस्पताल ले जा रही एंबुलेंस 5 घंटे तक ट्रैफिक में फंसी रही. समय पर अस्पताल न पहुंचने और इलाज न मिलने की वजह से मासूम बच्चे की एंबुलेंस में ही मौत हो गई.
चौथी मंजिल पर खेल रहा था बच्चा
बताया जा रहा है कि पीड़ित परिवार मुंबई से सटे नालासोपारा का रहने वाला है. दो साल का मासूम चौथी मंजिल पर खेल रहा था. इसी दौरान वह गिर गया. इससे वहां कोहराम मच गया. हालांकि, चौथी मंजिल से गिरने से बच्चे की जान नहीं गया, बल्कि वह सिर्फ घायल हुआ था. परिवार के लोग घायल बच्चे को पास के हॉस्पिटल में ले कर गए. वहां के डॉक्टर्स ने बच्चे को मुंबई रेफर कर दिया. बच्चे को पैन किलर देकर परिवार नालासोपारा से मुंबई के लिए रवाना हो गया था.
आमतौर पर नालासोपारा से मुंबई जाने में एक घंटे का समय लगता है. लेकिन, शाम को मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर बहुत ज्यादा ट्रैफिक था. वाहनों का लंबा रेला लगा हुआ था. बच्चे को ले जा रही एंबुलेंस इस जाम में 5 घंटे तक फंसी रही और दो साल के मासूम बच्चे का यह सफर कभी पूरा नहीं हो सका. घायल बच्चे की एंबुलेंस में ही मौत हो गई.
बेंगलुरु का हाल
भारत के सिलिकॉन वैली के नाम से मशहूर बेंगलुरु को ऊंची-ऊंची इमारतों के साथ ही अब ट्रैफिक जाम और सड़कों की दुर्दशा के लिए भी जाना जाता है. एक कंपनी ने शहर को इन्हीं कारणों से छोड़ने का फैसला कर लिया. ब्लैक बक कंपनी के सीईओ राजेश याबाजी ने X पर पोस्ट लिखकर खुद इस बात की जानकारी दी. अपने इस पोस्ट में उन्होंने घर बन चुके ऑफिस छूट जाने को लेकर दुख भी जताया. बेंगलुरु में हजारों की तादाद में लोग प्रतिदिन लंबे जाम से संघर्ष कर अपने मंजिल तक पहुंचने को मजबूर हैं.
आमतौर पर नालासोपारा से मुंबई जाने में एक घंटे का समय लगता है. लेकिन, शाम को मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर बहुत ज्यादा ट्रैफिक था. वाहनों का लंबा रेला लगा हुआ था. बच्चे को ले जा रही एंबुलेंस इस जाम में 5 घंटे तक फंसी रही और दो साल के मासूम बच्चे का यह सफर कभी पूरा नहीं हो सका. घायल बच्चे की एंबुलेंस में ही मौत हो गई.
बेंगलुरु का हाल
भारत के सिलिकॉन वैली के नाम से मशहूर बेंगलुरु को ऊंची-ऊंची इमारतों के साथ ही अब ट्रैफिक जाम और सड़कों की दुर्दशा के लिए भी जाना जाता है. एक कंपनी ने शहर को इन्हीं कारणों से छोड़ने का फैसला कर लिया. ब्लैक बक कंपनी के सीईओ राजेश याबाजी ने X पर पोस्ट लिखकर खुद इस बात की जानकारी दी. अपने इस पोस्ट में उन्होंने घर बन चुके ऑफिस छूट जाने को लेकर दुख भी जताया. बेंगलुरु में हजारों की तादाद में लोग प्रतिदिन लंबे जाम से संघर्ष कर अपने मंजिल तक पहुंचने को मजबूर हैं.

