मुंबई: स्थानिय निकाय चुनाव : भाजपा के अलावा भी कुछ राजनीतिक दलों ने कमर कसना शुरू कर दिया... कांग्रेस से नहीं कोई हलचल
Mumbai: Local body elections: Apart from BJP, some other political parties have also started gearing up... No movement from Congress
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2017 के चुनाव में भाजपा के 108 नगरसेवक चुने गए थे। उस समय अनुमान लगाया जा रहा था कि 80 से 90 नगरसेवक चुने जाएंगे। इतनी भारी तादाद में जीत दर्ज किए जाने के बाद कई लोगों ने मैच फिक्सिंग की आशंका भी जताई थी। इस चुनाव में कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा में भी काफी बगावत हुई थी। इसके बावजूद भाजपा को तो बगावत के बावजूद लाभ हुआ, किंतु कांग्रेस के बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा है।
मुंबई: हमेशा ही चुनावी मोड में रहनेवाली भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थानिय निकाय चुनावों को हरी झंडी देने के बाद से ही काम शुरू कर दिया है। इसे देखते हुए चुनाव के लिए तो भाजपा तैयार दिखाई दे रही है, लेकिन प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को संभवत: कहीं से आदेश का इंतजार है।
यहीं कारण है कि अबतक शहर कांग्रेस कमेटी की ओर से किसी तरह की हलचल दिखाई नहीं दे रही है। भाजपा के अलावा भी कुछ राजनीतिक दलों ने चुनाव के मद्देनजर कमर कसना शुरू कर दिया है। यहां तक कि 108 पूर्व पार्षदों का बल लेकर चल रही भाजपा ने इस चुनाव में अबकी बार, 121 पार का नारा जपना भी शुरू कर दिया है।
हाल ही में इस संदर्भ में पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के साथ-साथ भाजपा शहर अध्यक्ष दयाशंकर तिवारी ने भी इसके संकेत दिए है। हालांकि इसमें कितनी सफलता मिलती है, यह तो दूर की कौड़ी है, लेकिन इस दिशा में पार्टी की तैयारी शुरू होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
मार्च 2022 में मनपा में भाजपा का कार्यकाल खत्म हो गया। इसके तुरंत बाद मनपा के चुनाव होने की संभावना थी। लेकिन 3 वर्ष का बीत गए। इन तीन वर्षों में प्रभाग के भीतर पूर्व पार्षदों की कितनी ताकत और लोकप्रियता बची हुई है। इसे खंगालने का काम भाजपा की ओर से शुरू कर दिया गया है।
जबकि कांग्रेस की ओर से चुनाव को लेकर किसी भी तरह की तैयारियों के संकेत तक नहीं है। राजनीतिक जानकारों की माने तो इस चुनाव में हारने के लिए कांग्रेस के पास कुछ नहीं है। इसके विपरित सिटी में भाजपा के दिग्गज नेताओं की फौज, केंद्र और राज्य में सत्ता होने के कारण कम से कम अपनी स्थिति को बरकरार रखना ही इनके लिए चुनौतीपूर्ण है।
यहीं कारण है कि अभी से भाजपा पूरी ताकत से जुड़ गई है। चुनाव के पूर्व अचानक शहर अध्यक्ष बदलकर भाजपा ने पूर्व महापौर दयाशंकर तिवारी के हाथों में कमान सौंप दी है। ऐसे में अपने नेतृत्व में पहले से अधिक आंकड़ों पर जीत दिलाना उनके लिए चुनौती है। यहीं कारण है कि अभी से ताकत झोंकी गई है।
कांग्रेस के स्थानिय नेताओं का मानना है कि भाजपा का अर्थतंत्र काफी मजबूत है। चुनाव लड़ने के लिए धनबल की निश्चित ही आवश्यकता पड़ती है। इसी तरह से राज्य और केंद्र में सत्ता का लाभ भी लेने की होड़ में स्थानिय कार्यकर्ता है। किंतु स्थानिय स्तर पर 15 वर्षों तक मनपा में सत्ता रहने के बावजूद स्थानिय जनता सेवा-सुविधाओं के लिए त्रस्त है. 3 वर्षों तक किसी भी पदाधिकारी ने लोगों की सुध नहीं ली है। अब अचानक लोगों के हिमायती बनकर उभरने की कोशिश की जा रही है। लेकिन ये जनता है, सब जानती है।
भाजपा ने मिशन मनपा की शुरुआत कर दी है। वह हर दिन एक नए कार्यक्रम के साथ जनता की अदालत में जा रही है। 121 के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बहुत ही बारीकी से प्लानिंग की जा रही है। भाजपा ने पक्ष-विपक्ष में चल रही लड़ाई का भी फायदा उठाने का फैसला किया है।
2017 के चुनाव में भाजपा के 108 नगरसेवक चुने गए थे। उस समय अनुमान लगाया जा रहा था कि 80 से 90 नगरसेवक चुने जाएंगे। इतनी भारी तादाद में जीत दर्ज किए जाने के बाद कई लोगों ने मैच फिक्सिंग की आशंका भी जताई थी। इस चुनाव में कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा में भी काफी बगावत हुई थी। इसके बावजूद भाजपा को तो बगावत के बावजूद लाभ हुआ, किंतु कांग्रेस के बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा है।