नई दिल्ली:  ग्रामीण विकास योजनाओं की सुस्त चाल, खर्च न हुआ 34.82 प्रतिशत बजट

New Delhi: Slow pace of rural development schemes, 34.82 percent budget not spent

नई दिल्ली:  ग्रामीण विकास योजनाओं की सुस्त चाल, खर्च न हुआ 34.82 प्रतिशत बजट

ग्रामीण विकास योजनाओं के लिए हर वर्ष बजट चाहे भरपूर दिया जा रहा है, लेकिन धरातल पर योजनाएं अपेक्षित गति नहीं पकड़ पा रही हैं। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ग्रामीण विकास की केंद्रीय वित्त पोषित योजनाओं के लिए वर्ष 2024-25 में बजट का जो संशोधित अनुमान रखा गया था, उसमें से 34.82 प्रतिशत पैसा खर्च ही नहीं हो सका है।

नई दिल्ली:  ग्रामीण विकास योजनाओं के लिए हर वर्ष बजट चाहे भरपूर दिया जा रहा है, लेकिन धरातल पर योजनाएं अपेक्षित गति नहीं पकड़ पा रही हैं। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ग्रामीण विकास की केंद्रीय वित्त पोषित योजनाओं के लिए वर्ष 2024-25 में बजट का जो संशोधित अनुमान रखा गया था, उसमें से 34.82 प्रतिशत पैसा खर्च ही नहीं हो सका है।

 

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मंत्रालय के इसके कई कारण बताए हैं, लेकिन समिति ने चिंता जताते हुए सरकार को धरातल पर सक्रिय क्रियान्वयन और सतत निगरानी की नसीहत दी है। संसदीय समिति ने पाया है कि 2024-25 के संशोधित बजट में आवंटित 1,73,804.01 करोड़ रुपये के मुकाबले वास्तविक व्यय केवल 1,13,284.55 करोड़ रुपये रहा, जो संशोधित अनुमान चरण में आवंटित राशि से 34.82 प्रतिशत कम है।

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वित्तीय समीक्षा के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का 15,825.35 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का 3,545.77 करोड़ रुपये, नेशनल सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम का 1,813.34 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का 2,583.16 करोड़ रुपये, मनरेगा का 1,627.65 करोड़ और दीनदयाल उपाध्याय- ग्रामीण कौशल्य योजना का 1,313.43 करोड़ रुपया वर्ष 2024-25 में खर्च नहीं हो सक।

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इसके साथ ही सिफारिश की गई है कि सभी हितधारकों के परामर्श से त्रैमासिक और मासिक व्यय योजनाएं पहले ही तैयार कर लें और सुनिश्चित कर लिया जाए कि योजना कार्यान्वयन के प्रत्येक चरण में पर्याप्त धन उपलब्ध रहे।समिति ने यह भी कहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए ग्रामीण विकास विभाग के कुल बजटीय आवंटन में 2.27 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है, जो कि 1,88,754.53 करोड़ रुपये है, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 1,84,566.19 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।

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यह मामूली वृद्धि ग्रामीण प्रगति की सतत गति के लिए पर्याप्त नहीं है। यह भी देखा गया है कि डीएवाइ-एनआरएलएम को छोड़कर, मनरेगा, पीएमजीएसवाइ, पीएमएवाइ-जी और एनएसएपी जैसी प्रमुख योजनाओं के लिए धन को लगभग स्थिर रखा गया है। ऐसे में सरकार को ध्यान रखना होगा कि ग्रामीण विकास की कोई भी योजना धन की कमी या लक्षित योजनाओं के कार्यान्वयन की धीमी गति के कारण बाधित न हो।

Sabri Human Welfare Foundation Ngo

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