महाराष्ट्र में GBS के 184 मामले, 6 की मौत 

184 cases of GBS in Maharashtra, 6 deaths

महाराष्ट्र में GBS के 184 मामले, 6 की मौत 

पुणे के बाद अब पूरे महाराष्ट्र में जीबीएस तेजी से पांव पसार रहा है। राज्य में GBS से संक्रमित होने वालों की संख्या 184 तक पहुंच गई है। जबकि इस बीमारी से ग्रसित कुल 6 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। 89 लोगों को डिस्चार्ज मिल गया है, लेकिन 47 लोग अभी भी ICU में है और 20 मरीज वेंटीलेटर पर हैं। बता दें कि GBS एक दुर्लभ और गंभीर तंत्रिका तंत्र विकार है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) अपने ही तंत्रिका तंतुओं पर हमला करना शुरू कर देता है। यह शरीर के तंत्रिका तंत्र के तंतुओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता और कभी-कभी पैरों या हाथों में लकवा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

मुंबई : पुणे के बाद अब पूरे महाराष्ट्र में जीबीएस तेजी से पांव पसार रहा है। राज्य में GBS से संक्रमित होने वालों की संख्या 184 तक पहुंच गई है। जबकि इस बीमारी से ग्रसित कुल 6 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। 89 लोगों को डिस्चार्ज मिल गया है, लेकिन 47 लोग अभी भी ICU में है और 20 मरीज वेंटीलेटर पर हैं। बता दें कि GBS एक दुर्लभ और गंभीर तंत्रिका तंत्र विकार है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) अपने ही तंत्रिका तंतुओं पर हमला करना शुरू कर देता है। यह शरीर के तंत्रिका तंत्र के तंतुओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता और कभी-कभी पैरों या हाथों में लकवा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

पुणे गया था, आकर पड़ा बीमार
बीएमसी के अस्पताल में वार्ड बॉय का काम करनेवाले 53 वर्षीय वयस्क को 23 जनवरी को नायर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया था। मरीज के परिजन ने बताया कि वे एक दिन के लिए पुणे गए थे, वहां से आकर वह बीमार हो गए। वहीं, पालघर वाले मामले में 16 वर्षीय बच्ची के पिता ने बताया कि एक दिन पहले बच्ची ने बाहर जाकर नाश्ता किया था, ऐसे में डॉक्टर को संदेह है कि बाहर के खानपान के चलते संक्रमण हो सकता है।

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वडाला के रहनेवाले वयस्क के बेटे ने बताया कि जनवरी में पापा पुणे गए थे, वे एक दिन ही वहां थे, लेकिन जब वह आए तो उनकी तबीयत खराब होने लगी। 23 जनवरी को हमने उन्हें नायर अस्पताल में भर्ती किया। डॉक्टरों ने जांच की और जीबीएस की पुष्टि हुई है। वह अर्ध चेतना अवस्था में हैं। शारीरिक हलचल नहीं है, उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। डॉक्टर अपनी ओर से उन्हें बेहतरीन उपचार दे रहे हैं। उनकी उम्र होने के चलते बॉडी उतना तेजी से रिकवर नहीं हो रही है डॉक्टरों ने कहा कि रिकवरी में समय लगेगा। 

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बच्ची अब खुद ही खड़ी हो पा रही है
पालघर के एक गांव में रहनेवाले बीमारी से ग्रसित के पिता ने बताया कि बेटी के हाथ का पंजा सुन्न पड़ गया वह कुछ महसूस नहीं कर पा रही थी। हम विरार में एक डॉक्टर के पास गए, वहां सीटी स्कैन भी किया लेकिन कुछ पता नहीं चला। डॉक्टर ने पैरालिसिस की बात कही। उसके बाद 3 जनवरी को बच्चों को लेकर नायर अस्पताल में पहुंचे। यहां जांच में डॉक्टरों ने जीबीएस की पुष्टि की है। डॉक्टरों ने देरी न करते हुए बच्ची का तुरंत उपचार शुरू कर दिया है। पहले बच्ची की स्थिति ऐसी थी कि उसे गोद में लेकर अस्पताल पहुंचाया गया था, लेकिन अब वह खुद के बल पर खड़ी हो रही है और चल रही है। बता दें कि बच्ची 10 वीं की छात्रा है। बच्ची की ट्रैवलिंग हिस्ट्री नहीं है। हालांकि नायर अस्पताल ने फिलहाल इन मामलों की पुष्टि नहीं की है। इस संदर्भ में नायर अस्पताल के डीन डॉ. शैलेश मोहिते ने कहा कि वे सोमवार को जानकारी के लेकर इसकी पुष्टि करेंगे। 

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कैसे होता है GBS?
GBS के कारणों का पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है, लेकिन यह एक इंफेक्शन के बाद हो सकता है, जैसे:
1. वायरल संक्रमण जैसे कि फ्लू, सर्दी, या जुकाम।
2. बैक्टीरियल संक्रमण जैसे कि कैम्पिलोबैक्टर बैक्टीरिया
3. टीके: कुछ मामलों में टीकाकरण के बाद भी GBS के लक्षण सामने आए हैं।
4. सामान्य इंफेक्शन या चोट: कभी-कभी शरीर में किसी प्रकार का बाहरी तनाव भी इसका कारण बन सकता है।
5. GBS आमतौर पर शारीरिक कमजोरी और शारीरिक कठिनाई के रूप में प्रकट होता है, जो धीरे-धीरे शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैल सकता है।

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