महाराष्ट्र में प्रकाश आम्बेडकर एक अहम राजनीतिक फैक्टर... शिवसेना-कांग्रेस का बिगाड़ देगा गणित?
Prakash Ambedkar is an important political factor in Maharashtra... Will mathematics spoil the alliance of Shiv Sena-Congress?
राउत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी की अब भी राय है कि वीबीए के साथ बातचीत की जा सकती है. राउत ने कहा, ‘हमने आखिरी क्षण तक वीबीए का इंतजार किया और अब भी इंतजार कर रहे हैं. हमने वीबीए को अकोला सहित पांच सीट की पेशकश की थी. हमारी अब भी राय है कि उनसे बातचीत की जा सकती है. सीट की संख्या पांच से बढ़ सकती है.’ राउत के दावे का विरोध करते हुए प्रकाश आम्बेडकर ने कहा, हमारी पार्टी को अकोला समेत केवल तीन सीट ऑफर की गई थीं. हम उनकी ये सीटें वापस कर रहे हैं.
मुंबई : महाराष्ट्र में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे महाराष्ट्र विकास आघाड़ी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन को टक्कर देने के लिए उद्धव ठाकरे, शरद पवार और कांग्रेस नेतृत्व ने मिलकर महाराष्ट्र विकास आघाड़ी का गठन किया था. इस गठबंधन को और मजबूत बनाने के लिए उसमें बीआर आम्बेडकर पोते प्रकाश आम्बेडकर के नेतृत्व वाले वंचित बहुजन आघाडी को जोड़ने की कोशिश की गई.
हालांकि प्रकाश अब अब इस गठबंधन से बाहर निकल गए हैं. ऐसे में क्या 'अकोला पैटर्न' महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे- कांग्रेस का पूरा गणित बिगाड़ने जा रहा है. प्रकाश आम्बेडकर अकोला जिले के रहने वाले हैं और वहीं से राजनीति करते हैं. उनके साथ डॉक्टर दादा डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर की विरासत तो जुड़ी हुई है ही, इसके साथ ही वे मंझे हुए वकील भी हैं. अपनी विरासत का इस्तेमाल कर लोगों को कैसे जोड़ना है, ये उन्हें बखूबी आता है.
उन्होंने अपनी वंचित बहुजन अघाड़ी बनाकर योजनाबद्ध तरीके से महाराष्ट्र के दलितों और वंचित तबके के बड़े हिस्से को अपने साथ जोड़ा है. इसके चलते राज्य में बड़ी संख्या में लोग उन्हें अपना रहनुमा भी मानते हैं. अकोला आधारित उनके राजनीतिक स्टाइल को अक्सर 'अकोला पैटर्न' कहकर भी संबोधित किया जाता है.
अपनी इसी राजनीति की वजह से प्रकाश आम्बेडकर महाराष्ट्र में एक अहम राजनीतिक फैक्टर बने हुए हैं. वे अपने दम पर भले ही कोई चुनाव न जीत सकें लेकिन दूसरी पार्टियों की हार की वजह जरूर बन जाते हैं. वर्ष 2019 में उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें उनके गठबंधन को 14 फीसदी वोट मिले थे. उनके इस गठबंधन की वजह से कई सीटों पर कांग्रेस और एनसीपी को हार झेलनी पड़ी थी.
इसके बाद आम्बेडकर और ओवैसी अलग- अलग हो गए. इसके बाद उनकी दोस्ती शिवसेना से हुई. कुछ वक्त बाद एकनाथ शिंदे ने अलग होकर अपनी दूसरी शिवसेना बना ली लेकिन प्रकाश आम्बेडकर उद्धव ठाकरे के साथ ही बने रहे. जब राज्य में महाविकास आघाड़ी गठबंधन बना तो उद्धव के कहने पर प्रकाश आम्बेडकर की पार्टी को भी उसमें जोड़ा गया.
जब चुनाव के लिए सीट शेयरिंग पर बात शुरू हुई तो प्रकाश आम्बेडकर ने अकोला के आसपास की 16 सीटों पर अपनी दावेदारी जताई. लेकिन जब उन्हें लगा कि मांग नहीं मानी जाएगी तो उन्होंने इसे घटाकर 6 कर दिया. हालांकि उनकी यह मांग भी पूरी नहीं हो पाई और उन्हें 4 सीटें ऑफर की. इस पर ऐतराज जताते हुए आम्बेडकर ने एमवीए से किनारा करने की घोषणा कर दी.
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अगले लोकसभा चुनावों के लिए राज्य में 17 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की है. पार्टी का कहना है कि वह राज्य की कुल 22 सीट पर चुनाव लड़ेगी. जबकि 26 सीटें सहयोगियों के लिए छोड़ेगी. इससे भड़के डॉ बी आर आम्बेडकर के पोते प्रकाश आम्बेडकर MVA से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया, साथ ही 8 सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतार दिए. जिन सीटों पर प्रत्याशी उतारे गए हैं, उन्हें अकोला सीट भी शामिल है.
प्रकाश आम्बेडकर के इस दाव से उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना सकते में है. पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, 'इस कठिन समय में, संविधान को बचाने के लिए, उन्हें (प्रकाश आम्बेडकर को) विपक्ष के साथ सहयोग करना चाहिए.' महाविकास आघाड़ी (एमवीए) ने अंतिम क्षण तक प्रकाश आम्बेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) का इंतजार किया और उनके (आम्बेडकर के) महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के लिए एमवीए से बाहर निकलने की घोषणा के बावजूद उनका अब भी इंतजार किया जा रहा है.
राउत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी की अब भी राय है कि वीबीए के साथ बातचीत की जा सकती है. राउत ने कहा, ‘हमने आखिरी क्षण तक वीबीए का इंतजार किया और अब भी इंतजार कर रहे हैं. हमने वीबीए को अकोला सहित पांच सीट की पेशकश की थी. हमारी अब भी राय है कि उनसे बातचीत की जा सकती है. सीट की संख्या पांच से बढ़ सकती है.’ राउत के दावे का विरोध करते हुए प्रकाश आम्बेडकर ने कहा, हमारी पार्टी को अकोला समेत केवल तीन सीट ऑफर की गई थीं. हम उनकी ये सीटें वापस कर रहे हैं.
बता दें कि महाराष्ट्र में I.N.D.I.A गठबंधन में दरार पड़ गई है. उद्धव गुट की शिवसेना की ओर से 17 उम्मीदवारों के ऐलान के साथ ही झगड़ा बढ़ गया है. महाविकास अघाड़ी में कई दौर की बातचीत के बाद भी सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई. इसके बावजूद उद्धव गुट ने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जिसके बाद घमासान मचा है. सबसे ज्यादा नाराज़ मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरूपम हैं और उनके निशाने पर सीनियर लीडरशिप है.
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