आज उत्तर भारतीयों को पीटने वाले बने बीजेपी के लाडले... राज ठाकरे संग गठबंधन पर मुंबई से लेकर यूपी-बिहार तक गुस्सा
Today, those who beat North Indians became BJP's darlings... Anger from Mumbai to UP-Bihar over alliance with Raj Thackeray.
वर्ली में बर्फ का कारोबार करने वाले सुभाष यादव ने मनसे के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए दो साल तक पैर में चप्पल नहीं पहनी थी। उसने प्रण कर लिया था कि जब तक उत्तर भारतीयों की पिटाई करने वालों पर कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक वह नंगे पैर चलेगा। सुभाष की हठ और सक्रियता के चलते पुलिस को झुकना पड़ा और 8 से 10 मनसे कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों पर कार्रवाई हुई। कई को तड़ीपार किया गया।
मुंबई: मनसे में रहते हुए बीजेपी के कई सारे कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने उत्तर भारतीयों की खुलेआम पिटाई की थी। इनमें प्रवीण दरेकर और राम कदम के नाम खास तौर पर लिए जा रहे हैं, जो कभी मनसे में थे। आज दरेकर उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खास हैं। हालांकि, फडणवीस को उत्तर भारतीयों का हितैषी माना जाता है, लेकिन दरेकर जैसे अन्य नेता उत्तर भारतीय और हिंदीभाषी विरोधी रहे हैं।
बीजेपी चुनाव समिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे ऐडवोकेट अखिलेश चौबे कभी राज ठाकरे के वकील हुआ करते थे। मनसे में रहते हुए अवधूत वाघ ने भी उत्तर भारतीयों के खिलाफ खूब बोला था। आज वह बीजेपी प्रवक्ता हैं, यानी जिन्होंने मनसे में रहते हुए उत्तर भारतीयों, राजस्थानियों के साथ मारपीट की थी, आज बीजेपी के लाडले बन हैं।
उत्तर भारतीयों के साथ मारपीट करने वाली मनसे के साथ बीजेपी चुनावी गठबंधन करने जा रही है, जिसकी मुंबई से लेकर, दिल्ली, लखनऊ, उत्तर प्रदेश और बिहार में चर्चा है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि उत्तर भारतीय किस मुंह से बीजेपी-मनसे के गठबंधन को स्वीकार करेगा?
मनसे पदाधिकारियों से मार खाने वाले उत्तर भारतीय बीजेपी के इस समझौते से बेहद खफा हैं। मनसे में विधायक चुने जाने पर दरेकर और कदम ने हिंदी में शपथ लेने के कारण विधानसभा में सपा के विधायक अबू आजमी के साथ मारपीट की थी। इसके अलावा, दरेकर का नाम यूपी, बिहार, राजस्थान से आए छात्रों के साथ मारपीट में भी शामिल था। ये छात्र मुंबई में रेलवे बोर्ड की परीक्षा देने आए थे। इसके अलावा, ऐसी अनगिनत घटनाएं हैं।
वर्ली में बर्फ का कारोबार करने वाले सुभाष यादव ने मनसे के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए दो साल तक पैर में चप्पल नहीं पहनी थी। उसने प्रण कर लिया था कि जब तक उत्तर भारतीयों की पिटाई करने वालों पर कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक वह नंगे पैर चलेगा। सुभाष की हठ और सक्रियता के चलते पुलिस को झुकना पड़ा और 8 से 10 मनसे कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों पर कार्रवाई हुई। कई को तड़ीपार किया गया।
पूरे प्रकरण को याद करते हुए यादव बताते हैं कि मैं कभी इसका समर्थन नहीं करूंगा कि बीजेपी अपने कुनबे में मनसे को शामिल करे। उस वक्त उनके जैसे हजारों उत्तर भारतीयों ने मनसे का आतंक देखा है। उनकी बर्फ की गाड़ी तोड़ा था और मनसे वाले धमकाते थे। आज बीजेपी के साथ मनसे आ जाएगी, तो उन्हें कैसे वोट दे सकता हूं। आखिर हमारा भी तो कोई आत्मसम्मान है।
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