रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा... हेल्थकेयर संगठनों पर साइबर अटैक

Sensational revelation in the report... Cyber attack on healthcare organizations

रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा...  हेल्थकेयर संगठनों पर साइबर अटैक

जैसे-जैसे भारत स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को डिजिटल बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, ऑनलाइन सिस्टम को सुरक्षित करना तेजी से महत्वपूर्ण हो गया है। इसी तरह ट्रेंड माइक्रो की २०२३ रिपोर्ट के अनुसार, २०२३ की पहली छमाही में साइबर सुरक्षा जोखिम की घटनाओं के लिए भारत को अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरा सबसे खराब देश बताया गया।

नई दिल्ली : पिछले १२ महीनों में भारत में लगभग ६०% स्वास्थ्य सेवा (हेल्थकेयर) संगठनों को साइबर अटैक का सामना करना पड़ा है। यूके स्थित साइबर सुरक्षा फर्म ‘सोफोस’ द्वारा किए गए एक नए अध्ययन के हवाले से मीडिया में आई खबरों के अनुसार, साइबर अपराधी लगभग ७५ज्ञ् रैंसमवेयर अटैक में डेटा को सफलतापूर्वक एन्क्रिप्ट करने में सक्षम थे, जो पिछले तीन वर्षों में एन्क्रिप्शन की सबसे ऊंची दर है।

मीडिया रिपोर्टों में साइबर सुरक्षा फर्म के अध्ययन का हवाला देते हुए बताया गया है कि यह पिछले साल किए गए ६१ज्ञ् डेटा एन्क्रिप्शन के मुकाबले बड़ी वृद्धि है। इनमें केवल २४% स्वास्थ्य सेवा संगठन साइबर अपराधियों द्वारा उनके डेटा को एन्क्रिप्ट करने से पहले रैंसमवेयर के अटैक को रोकने में सक्षम थे। रिपोर्ट के अनुसार, यह आंकड़ा २०२२ में ३४ज्ञ् था।

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बता दें कि गत वर्ष ३० नवंबर को ‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ (आईसीएमआर) की वेबसाइट पर २४ घंटे में करीब ६,००० हैकिंग प्रयास हुए थे। यह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पांच सर्वरों को रैंसमवेयर द्वारा हैक किए जाने के हफ्तेभर बाद हुआ था। अनुमान है कि इसमें १.३ टेराबाइट डेटा एन्क्रिप्ट किया गया था। हैकर्स ने एम्स के लिए अपने ही डेटा तक पहुंच को असंभव बना दिया था। साइबर जोखिम प्रबंधन फर्म एरेटे के अध्यक्ष एपीएसी राज शिवाराजू ने मीडिया को बताया कि पुराने सॉफ्टवेयर, पुराने सिस्टम और साइबर सुरक्षा में अपर्याप्त निवेश ने स्थिति खराब कर दी है।

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जैसे-जैसे भारत स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को डिजिटल बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, ऑनलाइन सिस्टम को सुरक्षित करना तेजी से महत्वपूर्ण हो गया है। इसी तरह ट्रेंड माइक्रो की २०२३ रिपोर्ट के अनुसार, २०२३ की पहली छमाही में साइबर सुरक्षा जोखिम की घटनाओं के लिए भारत को अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरा सबसे खराब देश बताया गया।

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जबकि कोलंबिया स्थित साइबर सुरक्षा कंपनी टेनेबल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि भारतीय कंपनियां लगभग आधे साइबर अटैक को नहीं रोक सकती हैं। यह रिपोर्ट ८२५ आईटी और साइबर सुरक्षा पेशेवरों के ऑनलाइन अध्ययन पर आधारित है, जिनमें से ६९ भारतीय थे। ३१ अक्टूबर, २०२३ को बड़े पैमाने पर हुए डेटा ब्रीच (सेंधमारी) में आईसीएमआर के साथ ८१.५ करोड़ से अधिक भारतीयों की जानकारी डार्क वेब पर बेची गई।

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