सरकार ने मेट्रो-३ के लिए और १७७ पेड़ों को काटने की मांगी अनुमति ...

Government seeks permission to cut 177 more trees for Metro-3 ...

सरकार ने मेट्रो-३ के लिए और १७७ पेड़ों को काटने की मांगी अनुमति ...

विकास के नाम पर भाजपा प्रकृति के विनाश से भी पीछे नहीं हटती। ऐसा ही मामला आरे कारशेड का है। मुंबई के बीच बसे इस हरे-भरे वन को नष्ट करने का काम किया जा रहा है। इसी क्रम में आरे कारशेड में ८० पेड़ों की बलि लेने के बाद अब राज्य सरकार ने मेट्रो-३ लाइन के लिए और १७७ पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी है।

मुंबई : विकास के नाम पर भाजपा प्रकृति के विनाश से भी पीछे नहीं हटती। ऐसा ही मामला आरे कारशेड का है। मुंबई के बीच बसे इस हरे-भरे वन को नष्ट करने का काम किया जा रहा है। इसी क्रम में आरे कारशेड में ८० पेड़ों की बलि लेने के बाद अब राज्य सरकार ने मेट्रो-३ लाइन के लिए और १७७ पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी है।

हालांकि, इसे लेकर पर्यावरणविदों ने आरोप लगाया है कि सरकार की तरफ से मुंबई के फेफड़े आरे में कारशेड के लिए एक भी पेड़ों की बलि न दिए जाने का आश्वासन दिया था, जो पूरी तरह से झूठ साबित हो रहा है। इसके अलावा उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि सरकार की तरफ से यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि काटे गए पेड़ों के बदले नए पौधों का रोपण कहां किया जाएगा।

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उल्लेखनीय है कि दुनिया में तापमान बढ़ रहा है। मौसम भी अब आंख-मिचौली खेल रहा है। इसके पीछे की वजह पर्यावरण के साथ खिलवाड़ और जंगलों को बर्बाद करना बताया गया है। हालांकि, इसे गंभीरता से लेते हुए महाविकास आघाड़ी सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान जंगल को काटकर विकास करना मुनासिब नहीं समझा।

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इसीलिए तत्कालीन सरकार ने आरे को जंगल घोषित कर दिया था। साथ ही यहां प्रस्तावित मेट्रो कारशेड को कांजूरमार्ग में स्थानांतरित कर दिया था। हालांकि, राज्य में जैसे ही ‘ईडी’ सरकार सत्ता में आई, महाविकास आघाड़ी सरकार के इस पैâसले को पलटते हुए वह कारशेड को फिर से आरे कालोनी में ले गई। हालांकि, तमाम पर्यावरण प्रेमी संगठन इसका लगातार विरोध करते हुए आंदोलन करते आ रहे हैं।

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शहर के पर्यावरण प्रेमी व आरे संरक्षण समूह के सदस्य जोरू भथेना ने आरोप लगाया कि आरे कॉलोनी में मेट्रो-३ कारशेड के लिए पेड़ों को काटने का एक लंबा और स्वैंâडल वाला इतिहास रहा है। उन्होंने बताया कि साल २०१४ में सरकार ने मुंबई हाईकोर्ट को बताया था कि केवल २५० पेड़ काटे जाएंगे।

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हालांकि, साल २०१५ में सरकार की अपनी तकनीकी समिति ने सिफारिश की कि केवल ५०० पेड़ों को काटा जाना चाहिए। साल २०१८-१९ तक ये संख्या बढ़कर ३,००० हो गई। अक्टूबर २०१९ में सरकार ने झूठा दावा किया था कि सभी ३,००० पेड़ों को काट दिया गया है और अब एक भी पेड़ को काटने की जरूरत नहीं है। फिलहाल, बाद में काम रोक दिया गया और जंगल का कायाकल्प हो गया।